रणजीत की रचनाएँ
जूझती प्रतिमा नहीं रहा मैं अपने पथ पर आज अकेला क्योंकि तुम्हारी भी आँखों में कल के विकल स्वप्न जागे हैं तुमने भी निर्मम होकर,… Read More »रणजीत की रचनाएँ
जूझती प्रतिमा नहीं रहा मैं अपने पथ पर आज अकेला क्योंकि तुम्हारी भी आँखों में कल के विकल स्वप्न जागे हैं तुमने भी निर्मम होकर,… Read More »रणजीत की रचनाएँ