राजमणि मांझी ‘मकरम’ की रचनाएँ
केवल अपने लिए मैं स्वार्थी हूँ अपनी बीवी की गाँठ खोलकर लूट लेता हूँ उसकी बची-खुची अस्मिता जबरन उधार माँगता हूँ उस बनिए से जो… Read More »राजमणि मांझी ‘मकरम’ की रचनाएँ
केवल अपने लिए मैं स्वार्थी हूँ अपनी बीवी की गाँठ खोलकर लूट लेता हूँ उसकी बची-खुची अस्मिता जबरन उधार माँगता हूँ उस बनिए से जो… Read More »राजमणि मांझी ‘मकरम’ की रचनाएँ