राजेंद्र ‘मिलन’ की रचनाएँ
सूरज सुबह-सुबह जब उगता सूरज, लाल गेंद-सा लगता सूरज। दोपहरी में थाली जैसा, चमचम चमका करता सूरज। लाल टमाटर-सा हो जाता, शाम ढले जब ढलता… Read More »राजेंद्र ‘मिलन’ की रचनाएँ
सूरज सुबह-सुबह जब उगता सूरज, लाल गेंद-सा लगता सूरज। दोपहरी में थाली जैसा, चमचम चमका करता सूरज। लाल टमाटर-सा हो जाता, शाम ढले जब ढलता… Read More »राजेंद्र ‘मिलन’ की रचनाएँ