रामचंद्र शुक्ल की रचनाएँ
मनोहर छटा नीचे पर्वत थली रम्य रसिकन मन मोहत। ऊपर निर्मल चन्द्र नवल आभायुत सोहत।। कबहुँ दृष्टि सों दुरत छिपत मेघन के आडें। अन्धकार अधिकार… Read More »रामचंद्र शुक्ल की रचनाएँ
मनोहर छटा नीचे पर्वत थली रम्य रसिकन मन मोहत। ऊपर निर्मल चन्द्र नवल आभायुत सोहत।। कबहुँ दृष्टि सों दुरत छिपत मेघन के आडें। अन्धकार अधिकार… Read More »रामचंद्र शुक्ल की रचनाएँ