रामचरित उपाध्याय की रचनाएँ
दोहा / भाग 1 शृंगार सुषमा छत्र लगाये धनरिधर, बिहँसि बजावत वेनु। बसौ हिये हरि हित-सहित, ग्वाल ग्वालिनि धेनु।।1।। उर लगियत, परियत पगन, हौं ही… Read More »रामचरित उपाध्याय की रचनाएँ
दोहा / भाग 1 शृंगार सुषमा छत्र लगाये धनरिधर, बिहँसि बजावत वेनु। बसौ हिये हरि हित-सहित, ग्वाल ग्वालिनि धेनु।।1।। उर लगियत, परियत पगन, हौं ही… Read More »रामचरित उपाध्याय की रचनाएँ