राही फ़िदाई की रचनाएँ
एहसास-ए-ज़िम्मेदारी बेदार हो रहा है एहसास-ए-ज़िम्मेदारी बेदार हो रहा है हर शख़्स अपने क़द का मीनार हो रहा है आवाज़-ए-हक़ कहीं अब रू-पोश हो न… Read More »राही फ़िदाई की रचनाएँ
एहसास-ए-ज़िम्मेदारी बेदार हो रहा है एहसास-ए-ज़िम्मेदारी बेदार हो रहा है हर शख़्स अपने क़द का मीनार हो रहा है आवाज़-ए-हक़ कहीं अब रू-पोश हो न… Read More »राही फ़िदाई की रचनाएँ