लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की रचनाएँ
अँधेरे के दिन बदल गए हैं अँधेरों के दिन अब वे नहीं निकलते सहमे, ठिठके, चुपके-चुपके रात के वक्त वे दिन-दहाड़े घूमते हैं बस्ती में… Read More »लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की रचनाएँ
अँधेरे के दिन बदल गए हैं अँधेरों के दिन अब वे नहीं निकलते सहमे, ठिठके, चुपके-चुपके रात के वक्त वे दिन-दहाड़े घूमते हैं बस्ती में… Read More »लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की रचनाएँ