शिरीष कुमार मौर्य की रचनाएँ
स्याह स्याह समय के गाल पर है तिल की तरह नहीं दाग़ की तरह ग़लत दिमाग़ों के उजाले में है राह में है उसे ढाँकता… Read More »शिरीष कुमार मौर्य की रचनाएँ
स्याह स्याह समय के गाल पर है तिल की तरह नहीं दाग़ की तरह ग़लत दिमाग़ों के उजाले में है राह में है उसे ढाँकता… Read More »शिरीष कुमार मौर्य की रचनाएँ
शामिल आजकल न मैं किसी उत्सव में शामिल हूँ न किसी शोक में न किसी रैली-जुलूस में किसी सभा में नहीं न किसी बाहरी ख़ुलूस… Read More »शिरीष कुमार मौर्य की रचनाएँ