सय्यद अहमद ‘शमीम’ की रचनाएँ
जागते में रात मुझ को ख़्वाब दिखलाया गया जागते में रात मुझ को ख़्वाब दिखलाया गया बन के शाख़-ए-गुल मिरी आँखों में लहराया गया जो… Read More »सय्यद अहमद ‘शमीम’ की रचनाएँ
जागते में रात मुझ को ख़्वाब दिखलाया गया जागते में रात मुझ को ख़्वाब दिखलाया गया बन के शाख़-ए-गुल मिरी आँखों में लहराया गया जो… Read More »सय्यद अहमद ‘शमीम’ की रचनाएँ