जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ
गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा तू ही देख ऐ मेरे ख़ल्लाक हुस्न-ए-राएगाँ मेरा ये कह कर… Read More »जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ
गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा तू ही देख ऐ मेरे ख़ल्लाक हुस्न-ए-राएगाँ मेरा ये कह कर… Read More »जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ