जगदीश चतुर्वेदी की रचनाएँ
समाधिस्थ गुम्बदों पर अन्धेरा ठहर गया है एक काली नदी बहती है अंतस्तल से निबिड़ अन्धकार में। कगारों पर पड़े हैं कटे हुए परिन्दों के… Read More »जगदीश चतुर्वेदी की रचनाएँ
समाधिस्थ गुम्बदों पर अन्धेरा ठहर गया है एक काली नदी बहती है अंतस्तल से निबिड़ अन्धकार में। कगारों पर पड़े हैं कटे हुए परिन्दों के… Read More »जगदीश चतुर्वेदी की रचनाएँ