रज़ा लखनवी की रचनाएँ
ख़याल-ए-हुस्न में यूँ ज़िंदगी तमाम हुई ख़याल-ए-हुस्न में यूँ ज़िंदगी तमाम हुई हसीन सुब्ह हुई और हसीन शाम हुई बक़ार-ए-इश्क़ बस अब सर झुका दे… Read More »रज़ा लखनवी की रचनाएँ
ख़याल-ए-हुस्न में यूँ ज़िंदगी तमाम हुई ख़याल-ए-हुस्न में यूँ ज़िंदगी तमाम हुई हसीन सुब्ह हुई और हसीन शाम हुई बक़ार-ए-इश्क़ बस अब सर झुका दे… Read More »रज़ा लखनवी की रचनाएँ