इक कहानी तुम्हें मैं सुनाता रहूँ
इक कहानी तुम्हें मैं सुनाता रहूँ ।
प्यार की हर निशानी दिखाता रहूँ।
मुस्कुराती रहो गीत बन तुम मेरा
मैं हमेशा जिसे गुनगुनाता रहूँ ।
राह में तुम मिलो मीत बन और मैं
देखते ही गले से लगाता रहूँ।
आते जाते रहें आप दिल में मेरे
आप के दिल में मैं आता जाता रहूँ।
ख्वाव में आप आयें दुल्हन की तरह
प्यार से आपको मैं सजाता रहूँ ।
बिना तेल के दीप जलता नहीं है
बिना तेल के दीप जलता नहीं है।
उजाले बिना काम चलता नहीं है।
बिना रोज़गारी कहाँ घर चलेगा,
न हो ये अगर पेट पलता नहीं है।
दिखाते रहे रात दिन झूठे सपने,
कभी बात से हल निकलता नहीं है।
सुलाता रहा रात भर भूखे बच्चे,
मगर दुख का सूरज ये ढलता नहीं है।
कहे बात संजय सभी के हितों की
ग़लत बात पे वो मचलता नहीं है।
सूरत बदल गई कभी सीरत बदल गई
सूरत बदल गई कभी सीरत बदल गई।
इंसान की तो सारी हक़ीक़त बदल गई।
पैसे अभी तो आए नहीं पास आपके,
ये क्या अभी से आप की नीयत बदल गई।
मंदिर को छोड़ मयकदे जाने लगे हैं लोग,
इंसा की अब तो तर्ज़े-ए-इबादत बदल गई।
खाना नहीं ग़रीब को भर पेट मिल रहा,
कैसे कहूँ गरीब की हालत बदल गई।
नफ़रत का राज अब तो हर सू दिखाई दे,
पहले थी जो दिलों में मुहब्बत बदल गई।
देता न था जवाब जो मेरे सलाम का,
वो हँस के क्या मिला मेरी किस्मत बदल गई।