ये कैसे सानिहे अब पेश आने लग गए हैं
ये कैसे सानिहे अब पेश आने लग गए हैं
तेरे आगोश में हम छटपटाने लग गए हैं
बहुत मुमकिन है कोई तीर हमको आ लगेगा
हम ऐसे लोग जो पँछी उड़ाने लग गए हैं
हमारे बिन भला तन्हाई घर में क्या ही करती
उसे भी साथ ही ऑफिस में लाने लग गए हैं
बदन पर याद की बारिश के छींटे पड़ गये थे
पराई धूप में उनको सुखाने लग गए हैं
हवा के एक ही झोंके में ये फल गिर पड़ेंगे
ये बूढ़े पेड़ के कँधे झुकाने लग गए हैं
नज़र के चौक पे बारिश झमाझम गिर रही है
तो दिल के रूम में गाने पुराने लग गए हैं
एक ख़ामोशी ने सदा पायी
एक ख़ामोशी ने सदा पायी
ढाई हर्फ़ों में फिर वो हकलाई
चार दीवार चन्द छिपकलियाँ
हिज्र की रात के तमाशाई
डूबने का उसे मलाल नहीं
जिसने देखी नदी की रानाई
आख़िरी ट्रैन थी तिरी जानिब
जो ग़लत प्लेटफॉर्म पर आयी
बारिशों ने हमें उदास किया
सील दीवार में उतर आयी
मशवरा है ये बेहतरी के लिए
मशवरा है ये बेहतरी के लिए
हम बिछड़ जाते हैं अभी के लिए
प्यास ले जाती है नदी की तरफ
कोई जाता नहीं नदी के लिए
ज़िन्दगी की मैं कर रहा था क्लास
बस रजिस्टर में हाज़िरी के लिए
आप दीवार कह रहे हैं जिसे
रास्ता है वो छिपकली के लिए
क़ैस ने मेरी पैरवी की है
दश्तो सहरा में नौकरी के लिए
नील से पहले चाँद पर मौजूद
एक बुढ़िया थी मुख़बिरी के लिए
आम मौक़ों पे न आँखों में उभारे आँसू
आम मौक़ों पे न आँखों में उभारे आँसू
हिज्र जिससे भी हो पर तुझ पे ही वारे आँसू
ज़ब्त का है जो हुनर मैंने दिया है तुमको
मेरी आँखों से निकलते हैं तुम्हारे आँसू
क्यूँ न अब हिज्र को मैं इब्तिदा-ए-वस्ल कहूँ
आँख से मैंने क़बा जैसे उतारे आँसू
दूसरे इश्क़ की सूरत नहीं देखी जाती
धुँधले कर देते हैं आँखों के नज़ारे आँसू
आँख की झील सुखाती है तिरी याद की धूप
मरने लगते हैं वहाँ प्यास के मारे आँसू
बिन तेरे आँखों को सहरा न बना बैठूँ मैं
रोते रोते न गँवा दूँ कहीं सारे आँसू
हिज्र के वक़्त उतर आई कोई शब उसमें
चाँद चेहरे के करीब आये सितारे आँसू
मुझ फ़रेबी को जो तूने ये मुहब्बत दी है
आँख से गिरते हैं अब शर्म के मारे आँसू
रात होती है तो उठती हैं ज़ियादा लहरें
और आ जाते हैं पलको के किनारे आँसू
दश्त में यार को पुकारा जाए
दश्त में यार को पुकारा जाए
क़ैस साहब का रूप धारा जाए
मुझको डर है कि पिंजरा खुलने पर
ये परिंदा कहीं न मारा जाए
दिल उसे याद कर सदा मत दे
कौन आता है जब पुकारा जाए
दिल की तस्वीर अब मुकम्मल हो
उनकी जानिब से तीर मारा जाए
लाश मौजों को हुक्म देती है
ले चलो जिस तरफ किनारा जाए
दिल तो है ही नहीं हमारा फिर
टूट जाए तो क्या हमारा जाए
ये तिरा काम है नये महबूब
डूबते शख़्स को उभारा जाए
मिरी आदत है मैं हर राहबर से बात करता हूँ
मिरी आदत है मैं हर राहबर से बात करता हूँ
गुज़रता हूँ जो रस्ते से शजर से बात करता हूँ
मैं तुझसे बात करने को तिरे किरदार में आकर
इधर से फ़ोन करता हूँ उधर से बात करता हूँ
मैं तेरे साथ तो घर में बड़ा ख़ामोश रहता था
नहीं मौजूद तू घर में तो घर से बात करता हूँ
ख़िज़ाँ का कोई मंज़र मेरे अंदर रक़्स करता है
कभी जो बन में गुल से या समर से बात करता हूँ
सुख़न के फ़न को ऐसे ही तो ज़ाया कर नहीं सकता
सो मैं ख़ुद से या फिर अहले नज़र से बात करता हूँ
कौन निकले घर से बाहर रात में
कौन निकले घर से बाहर रात में
सो गये हम अपने अंदर रात में
फिर से मिलने आ गयीं तन्हाइयाँ
क्यूँ नही खुलते हैं दफ़्तर रात में
हम जुटा लेते हैं बिस्तर तो मगर
रोज़ कम पड़ती है चादर रात में
रोज़ ही वो एक लड़की सुब्ह सी
जाती है हमको जगाकर रात में
ख़्वाब देखा है उसी का रात भर
सोये थे जिसको भुलाकर रात में
ज़िन्दगी भर की कमाई एक रात
जो मिली ख़ुद को गवाँकर रात में
साँप दो आते हैं हमको काटने
उसकी यादें और ये घर रात में
ज़िन्दगी की रात इक दिन ख़त्म हो
ये दुआ करते हैं अक्सर रात में
जिनसे उठता नहीं कली का बोझ
जिनसे उठता नहीं कली का बोझ
उनके कन्धों पे ज़िन्दगी का बोझ
वक़्त जब हाथ में नही रहता
किसलिए हाथ पर घड़ी का बोझ
ब्याह के वक़्त की कोई फ़ोटो
गहनों के बोझ पर हँसी का बोझ
सर पे यादों की टोकरी रख ली
कम न होने दिया कमी का बोझ
मिन्नतें मत करो ख़ुदा से अब
आदमी बाँटें आदमी का बोझ
जब्त का बाँध टूट जाने दो
कम करो आँख से नदी का बोझ
हिज्र था एक ही घड़ी का पर
दिल से उतरा न उस घड़ी का बोझ
हमको ऐसे ख़ुदा कुबूल नही
जिनसे उठता नहीं ख़ुदी का बोझ
बदन जब ख़ाक है आवारगी से क्या शिकायत
बदन जब ख़ाक है आवारगी से क्या शिकायत
मुसाफ़िर! कर रहा है बे-घरी से क्या शिकायत
जो कुछ लोगों से ही होती तो हम ज़ाहिर भी करते
सभी से है शिकायत सो किसी से क्या शिकायत
रक़ीबों को किया मल्लाह, टूटी कश्तियाँ ली
हमें तो डूबना ही था नदी से क्या शिकायत
मिरे किरदार ! जाने दे नज़रअंदाज कर दे
ख़ुदा की फ़िल्म है ये आदमी से क्या शिकायत
मियाँ दिल आजकल बातें नहीं सुनते हमारी
सो इनसे है शिकायत अजनबी से क्या शिकायत
इश्क़ का काम तो फ़िलहाल नहीं हो सकता
इश्क़ का काम तो फ़िलहाल नहीं हो सकता
दिल कि कर बैठा है हड़ताल, नहीं हो सकता
तेरे होंठों की जगह फूल नहीं ले सकते
और बदल शाने का रूमाल नहीं हो सकता
दिल की ख़ुद कूचा-ए-जानाँ में बिछा जाता है
इसको लगता है ये पामाल नहीं हो सकता
तुम हवाओं को परखकर ही उड़ाना बोसा
क्यूँकि हर सू तो मेरा गाल नहीं हो सकता
इश्क़ के तर्क का अफ़सोस नहीं है मुझको
क्या कोई हिज्र में ख़ुश-हाल नहीं हो सकता?
जब भी करती थी वो नदी बातें
जब भी करती थी वो नदी बातें
करती थी सिर्फ़ प्यास की बातें
हम कि चेहरे तो भूल जाते हैं
याद रह जाती हैं कई बातें
डूबने वाले इस भरम में थे
करती होगी ये जलपरी बातें
फूल देखें तो याद आती हैं
आपकी खुशबुओं भरी बातें
इश्क़ में इतना डर तो रहता हैं
खुल न जाये ये आपसी बातें
हो न पाया कभी ये दिल हल्का
लद गयी दिल पे बोझ सी बातें
बीती बातों पे ऐसे शेर कहो
शेर से निकले कुछ नयी बातें
आपकी चुप तो जानलेवा हैं
मुझसे कहिये भली बुरी बातें
उम्र भर माली ने लगाए फूल
उम्र भर माली ने लगाए फूल
तोड़िये मत बिना बताए फूल
पहले उन रास्तों से गुज़रे आप
और फिर रास्तों पे आए फूल
इश्क़ का ये उसूल कैसा है
फूल की खातिर आप लाए फूल
आपने फूल को नही देखा
आपको देखकर लजाए फूल
मैंने काँटो से दोस्ती कर ली
इसलिए मेरे साथ आए फूल
हिज्र ने नम की आँख की मिट्टी
वस्ल ने आँख में उगाए फूल
दरख़्तों के मसाइल कौन समझे
दरख्तों के मसाइल कौन समझे
ठहर जाने की मुश्किल कौन समझे
गलत राहों में भटके थे मुसाफिर
बदन के रास्ते दिल कौन समझे
जिसे समझा गया है लहर हरदम
उसे होना है साहिल कौन समझे
मिले थे तुमसे हम राहों में जाना
सो अब मंजिल को मंजिल कौन समझे
शिकायत ये कि तूने भी न समझा
हमे तेरे मुक़ाबिल कौन समझे
कोई करता नही कारे मुहब्बत
यहाँ मेरे मशागिल कौन समझे
इस तरह पूरी हुई आधी क़सम
इस तरह पूरी हुई आधी कसम
हमने रख ली आपकी खायी कसम
हो गयी ज़ाया दलीले फिर सभी
फिर से उसने कह दिया ‘तेरी कसम’
सच हमेशा झूठ ही समझा गया
और सच समझी गयी झूठी कसम
बेअसर है भूल जाने की दुआ
यूँ करो दे दो मुझे अपनी कसम
उलझनें उनको भी थी इज़हार में
मुझको भी थी रोकती कोई कसम
वक़्त का दरिया तो हम पार नहीं कर सकते
वक़्त का दरिया तो हम पार नही कर सकते
करना चाहे भी तो हम यार नही कर सकते
भूल जाना भी कोई काम हुआ करता है
काम ये आपके बीमार नही कर सकते
हारते शख़्स ने आखिर में दलीलें छोड़ी
अब निहत्थे पे तो हम वार नही कर सकते
वादा कर सकते है आएँगे न तेरी जानिब
हाँ मगर बीच में दीवार नही कर सकते
क्यूँ सदा ढूँढने होते है बहाने हम को
क्यूँ कभी खुल के हम इन्कार नही कर सकते
हमसे इज़हार के आदाब नही हो पाये
हम किसी शाख को मिस्मार नही कर सकते
दूसरे इश्क़ में पहले सा भरम मत रखना
एक गलती तो कई बार नही कर सकते
हम कहीं ले चले ये जिस्म उदासी के बगैर
खुद को अब इतना भी तैयार नही कर सकते
मेरे हाथों से आख़िर क्या बनेगा
मेरे हाथों से आखिर क्या बनेगा
बनेगी तू या कुछ तुझसा बनेगा
बहुत से झूठ आपस में मिलेंगे
तो इक टूटा हुआ वादा बनेगा
बनाने वाले ने ये कह दिया है
मेरे हिस्से का सब आधा बनेगा
तुझे तो भूल जाएंगे मगर हाँ
तेरी यादों से इक रिश्ता बनेगा
मुझे ये बात खाये जा रही है
मेरे मातम के दिन जलसा बनेगा
अगरचे फिर से ये दुनिया बनी तो
भला क्या कोई फिर मुझसा बनेगा
हमने बड़ी तलाश की, हमको ख़ुशी नहीं मिली
हमने बड़ी तलाश की, हमको खुशी नही मिली
जी हाँ खुशी में आपकी, हमको खुशी नही मिली
हमसे यही सवाल है, कहिये कि क्या नही मिला
हमको हरेक शय मिली, हमको खुशी नही मिली
ये भी कहा गया हमे सबकी खुशी इसी में है
कैसी फरेब बात थी, हमको खुशी नही मिली
उसने हमे कहा कि तुम मेरे बगैर खुश रहो
क्या ये खुशी की बात थी हमको खुशी नही मिली
मैं अपने ग़म छुपाना जानता हूँ
मैं अपने गम छुपाना जानता हूँ
मुसलसल मुस्कुराना जानता हूँ
किसी कारन से हूँ खामोश वरना
बहुत बातें बनाना जानता हूँ
फ़क़त तुम उसका जाना जानते हो ?
मैं उसका लौट आना जानता हूँ
गला जो काटने आते हैं मेरा
गले उनको लगाना जानता हूँ
यूँ तो इस रब्त में अब कुछ नही है
निभाना है, निभाना जानता हूँ
तुमको दुनिया का दिखलाया दिखता है
तुमको दुनिया का दिखलाया दिखता है
ये बतलाओ आँखों मे क्या दिखता है?
तुमको देख लिया है अब हम क्या देखे?
मंजिल से कब कोई रस्ता दिखता है
किसको दिल का हाल सुनाकर हल्के हो
जिसको देखे अपने जैसा दिखता है
हमने दुनिया देखी तो ये भूल गए
जो दुनिया था अब वो कैसा दिखता है?
आँखे बंद करी तो तुमको देख लिया
मैं ना कहता था अँधेरा दिखता है
महज़ इतनी सी कोशिश है हमे मरने दिया जाए
महज इतनी सी कोशिश है हमे मरने दिया जाए
हमारी एक ख्वाहिश है हमे मरने दिया जाए
कभी लहरो से गुज़रे थे किसी ने हाथ थामा था
कि अब उससे भी रंजिश है हमे मरने दिया जाए
ये दिल का टूटना अकसर ये फिर दिल को लगा लेना
ये सब जीने की साजिश है हमे मरने दिया जाए
तुम्हारे बिन जिये जाना हमारी जान लेता है
सो अब ये आखिरी विश है हमे मरने दिया जाए