आज फिर उनका सामना होगा
आज फिर उनका सामना होगा
क्या पता उसके बाद क्या होगा ।
आसमान रो रहा है दो दिन से
आपने कुछ कहा-सुना होगा ।
दो क़दम पर सही तेरा कूचा[1]
ये भी सदियों का फ़ासला होगा ।
घर जलाता है रोशनी के लिए
कोई मुझ सा भी दिलजला होगा ।
कोई तारा फलक से जब टूटा
कोई तारा फलक से जब टूटा
एक चश्मा ज़मीन से फूटा
मैने फेंका था जिसको दुश्मन पर
उसी पत्थर से मेरा सर फूटा
अपनी नज़रों से यूँ गिरा हूँ सबा
जैसे हाथों से आसमाँ छूटा
आप से गिला आप की क़सम
आप से गिला[1] आप की क़सम
सोचते रहे कर सके न हम
उस की क्या ख़ता, ला-दवा[2] है गम़
क्यूँ गिला करें चारागर[3] से हम
ये नवाज़िशें[4] और ये करम[5]
फ़र्त-ए-शौक़[6] से मर न जाएँ हम
खींचते रहे उम्र भर मुझे
इक तरफ़ ख़ुदा इक तरफ़ सनम
ये अगर नहीं यार की गली
चलते-चलते क्यूँ रुक गए क़दम
मेरे क़रीब ना आओ के मैं शराबी हूँ
मेरे क़रीब ना आओ के मैं शराबी हूँ
मेरा शऊर[1] जगाओ के मैं शराबी हूँ
ज़माने भर की निगाहों से गिर चुका हूँ मैं
नज़र से तुम ना गिराओ के मैं शराबी हूँ
ये अर्ज़ करता हूँ गिर के ख़ुलूस[2] वालो से
उठा सको तो उठाओ के मैं शराबी हूँ
तुम्हारी आँख से भर लूँ सुरूर[3] आँखों में
नज़र नज़र से मिलाओ के मैं शराबी हूँ
- ऊपर जायें↑ सभ्यता, शिष्टाचार
- ऊपर जायें↑ निष्कपटता, निश्छलता, सच्चाई
- ऊपर जायें↑ हल्का नशा, हर्ष, आनन्द