भुलक्कड़ राम
दिल्ली के रहने वाले
अजब भुलक्कड़ राम जी,
खाना खाना भूल गए
करते हैं आराम जी!
जब उनको फिर भूख लगी
हलवे का लें नाम जी,
पूछा इक हलवाई से-
क्या है इसका दाम जी?
हलवाई ने टोक दिया
लेकन उनक नाम जी,
बिन पैसे हलवा कैसे
वाह, भुलक्कड़ राम जी!
दूध पेस्ट रगड़ा माथे
समझा उसको बाम जी,
अंट-शंट कामों को यूँ
करें भुलक्कड़ राम जी!
मामा आए मिलने को
पूछा क्या है काम जी,
कौन कहाँ के हो जी तुम,
कर लो ‘राम-राम’ जी!
रिश्ते को भी भूल गए
बड़े भुलक्कड़ राम जी,
‘भूल भुलक्कड़’ का सबसे
पाते यह इनाम जी।
-साभार: नंदन, दिसंबर, 1997, 40
मिस बिल्ली
मिस बिल्ली जी छाता लेकर निकलीं करने सैर,
ऊँची एड़ी के जूतों के कारण फिसला पैर।
तभी अचानक काला कुत्ता दीखा उनको आता,
डर के मारे भगीं छोड़ बेचारी अपना छाता।
दादी माँ
मम्मी की फटकारों से
हमें बचाती दादी माँ।
कितने प्यारे वादे करती-
और निभाती दादी माँ।
पापा ने क्या कहा-सुना,
सब समझाती दादी-माँ!
चुन्नू-मुन्नू कहाँ गए,
हाँक लगाती दादी माँ।
ऐनक माथे पर फिर भी
शोर मचाती दादी माँ।
‘हाय राम! मैं भूल गई’-
हमें हँसाती दादी माँ।
गरमा-गरम जलेबी ला,
हमें खिलाती दादी माँ।
कभी शाम को अच्छी सी
कथा सुनाती दादी माँ,
खूब डाँट दे पापा को,
भौहें चढ़ाती दादी माँ।
हम भी गुमसुम हो जाएँ,
रोब जमाती दादी माँ!
बात
प्यारी, अच्छी अथवा भौंडी,
तरह-तरह की होती बात।
कोई गोबर जैसी फूहड़,
और किसी की मोती बात।
मुन्नू-चुन्नू से लड़कर खुद-
रोता, उसकी रोती बात।
रेखा अंजू, शबनम हँसती,
उनकी होती हँसती बात।
सच्ची या झूठी हो कोई,
दिल में सबके बसती बात।
बातों का ही खाते जो भी,
उनकी कभी न भाती बात।
बेबी रुखसाना को देखो,
बन-बन बड़ी बनाती बात।
नानी जी की बात बड़ी है,
कभी खत्म ना होती बात।
जिसे सुनाते खुद सो जाएँ,
उसे कहेंगे सोती बात।
जिसको तुरत-फुरत कह देते,
वह मुँहफट कहलाती बात।
बना बतंगड़ किसी बात का,
वह भँगड़ा करवाती बात।
कोई मन को तीखी करती,
होती बड़ी कँटीली बात।
कोई माखन-मिसरी जैसी,
मीठी और रसीली बात।
‘मेली बात छुनो ताता दी’
‘मनु’ की हुई तोतली बात।
दाँत बिना फह-फह बाबा की,
देखो मधुर पोपली बात।
सोच-समझकर बोलें जिसको,
उसको कहते अक्ली बात।
हिचक-हिचक रुक-रुक जो बोले,
वह कहलाती हकली बात।
आँखों-आँखों में जो होती,
उसको कहते गूँगी बात।
मन में नहीं मधुरता हो तो,
वह तो होती रूखी बात।
दीवारों के कान लगे हैं-
चुप-चुप, चुप-चुप करना बात।
बात पचाना बड़ी बात है
सुनकर मन में धरना बात!