लोमड़ी
कितनी है चालाक लोमड़ी,
खूब जमाती धाक लोमड़ी।
सदा सफलता पाती है वह,
नहीं छानती खाक लोमड़ी!
भोली बनकर सबको ठगती,
करती खूब मजाक लोमड़ी!
पशुओं में बाँटा करती है,
जंगल भर की डाक लोमड़ी।
अपनी चतुराई के बल पर,
है जंग
फूल बनकर मुस्कराना चाहिए
जिंदगी हँसकर बिताना चाहिए,
चुटकुले सुनना, सुनाना चाहिए।
रात-दिन आँसू बहाने से भला,
फूल बनकर मुस्कराना चाहिए।
चाट का ठेला खड़ा है सामने,
आज कुछ खाना, खिलाना चाहिए।
आ गया इतवार पापा जी हमें-
आज तो सरकस घुमाना चाहिए।
मास्टर जी हम पढ़ेंगे शौक से-
पर खिलौने कुछ दिलाना चाहिए।
देश को खुशहाल रखना है अगर-
हमको संसद में बिठाना चाहिए।
ल की नाक लोमड़ी!