एक शब्द
शादी का
लाल जोडा पहनाया था
माँ ने
उसकी रंगत ठीक ही थी
पर उसमें टँके सितारे
उसकी रंगत
ढँक रहे थे
मुझे दिखी नहीं वहाँ
मेरी खुशियाँ
मुझ पर पहाड़-सा टूट पडा
एक शब्द-
शादी
बागों में सारे फूल खिल उठे
पर मेरी चुनरी की लाली
फीकी पडती गई
बक्से में बंद
बंद।
उस फूल का नाम
मेरी तकदीर पर
वाहवाही
लूटते हैं लोग
पर अपने घ्रर में ही
घूमती परछाई
बनती जा रही मैं
मैं ढूंढ रही पुरानी ख़ुशी
पर मिलती हैं
तोडती लहरें
ख़ुद से सुगंध भी आती है एक
पर
उस फूल का नाम
भ्रम ही रहा
मेरे लिए।
उन आँसुओं का अर्थ
बचपन में पराई
कहा
फिर सुहागन
अब विधवा
ओह!
किसी ने भी पुकारा नहीं
नाम लेकर
मेरे जन्म पर खूब रोई माँ
मैं नवजात
नहीं समझ पाई उन आँसुओं का अर्थ
क्या वाकई माँ
पुत्र की चाहत में रोई थी।
उद्धत भाव से
मोहित करती है
वह तस्वीर
जो बसी है रग-रग में
डरती हूँ
कि छू कर उसे
मैली ना कर दूँ
हरे पत्तों से घिरे गुलाब की तरह
ख़ूबसूरत हो तुम
पर इसकी उम्मीद नहीं
कि तुम्हें देख सकूँ
इसलिए
उद्धत भाव से
अपनी बुद्धि मंद करना चाहती हूँ।
वक्तव्य न दो
घृणा से
टूटे हुए लोगो!
दर्पण
और अनास्था से
असंतुष्ट महिलाओं को
वक्तव्य न दो।
जाने कौन हो तुम
जाने कौन हो
तुम
यह
तुम्हारी झलक है
या कोई झील है
जिसमें
डूबी जा रही मैं
मेरे आँसू
कभी कभी
ऐसा क्यों लगता है
कि सबकुछ निरर्थक है
कि तमाम घरों में
दुखों के अटूट रिश्ते
पनपते हैं
जहाँ मकडी भी
अपना जाला नहीं बना पाती
ये सम्बन्ध हैं
या धोखे की टाट
अपने इर्द-गिर्द घेरा बनाए
चेहरों से डर जाती हूँ
और मन होता है
कि किसी समन्दर में छलांग लगा दूँ।
मेरी आँखों का नूर
लोग कहते हैं
कि बेटे को
ज़िन्दगी दे दी मैंने
पर उसके कई संगी नहीं रहे
जिनकी बड़ी-बड़ी आँखें
आज भी घूरती कहती हैं-
आंटी, मैं भी कहानी लिखूंगी
अपनी
उसकी आवाज़ आज भी
गूँजती है कानों में
बच्ची!
कैसी आवाज़ लगाई तूने
जो आज भी गूँज रही है फिजाँ में
ओह!
व्हील-चेयर पर
दर्द से तड़पती आँखें वे
वह दर्द
आज मेरी आँखों का नूर बन
चमक रहा है
लडकियाँ
घर-घर
खेलती हैं लडकियाँ
पतियों की सलामती के लिए
रखती हैं व्रत
दीवारों पर
रचती हैं साझी
और एक दिन
साझी की तरह लडकियाँ भी
सिरा दी जाती हैं
नदियों में
आख़िर
लडकियाँ
कब सोचना शुरू करेंगी
अपने बारे में …
यह क्या है
यह क्या है जो
खुशी के समुद्र में भी
रुला रहा है मुझे
अनजाने में जिसे खो दिया है
वो आज भी प्यारा है उतना ही
ये कैसी लहरें मेरे जेहेन में शोर मचा रही हैं
प्यार के लिया अपनी बाहें फैला कर
मै दुआ करती हूँ
कि जिसने उसे पाया है
वो खुश रहे
और मेरे आंसू उसकी सूरत में
वो चमक पैदा करें
जिसे देख मेरी आँखें भी शीतल हों।
21-8-2011