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एवंकार बीअ लहइ कुसुमिअउ अरविंदए

एवंकार बीअ लहइ कुसुमिअउ अरविंदए।
महुअर रुएँ सुरत्प्रवीर जिंघइ म अरंदए॥
जिमि लोण बिलज्जइ पणिएहि तिमि घरणी लइ चित्त।
समरस जाइ तक्खणो जइ पुणु ते सम चित्त॥

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