आप की याद आती रही रात भर
आप की याद आती रही रात भर
चश्मे नम मुस्कुराती रही रात भर ।
रात भर दर्द की शम्मा जलती रही
ग़म की लौ थरथराती रही रात भर ।
बाँसुरी की सुरीली सुहानी सदा
याद बन बन के आती रही रात भर ।
याद के चाँद दिल में उतरते रहे
चाँदनी जगमगाती रही रात भर ।
कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रात भर ।
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
रात है या बारात फूलों की ।
फूल के हार, फूल के गजरे
शाम फूलों की रात फूलों की ।
आपका साथ, साथ फूलों का
आपकी बात, बात फूलों की ।
नज़रें मिलती हैं जाम मिलते हैं
मिल रही है हयात[1] फूलों की ।
कौन देता है जान फूलों पर
कौन करता है बात फूलों की ।
वो शराफ़त तो दिल के साथ गई
लुट गई कायनात[2] फूलों की ।
अब किसे है दमाग़े तोहमते इश्क़
कौन सुनता है बात फूलों की ।
मेरे दिल में सरूर-ए-सुबह बहार
तेरी आँखों में रात फूलों की ।
फूल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की ।
ये महकती हुई ग़ज़ल ‘मख़दूम’
जैसे सहरा में रात फूलों की ।