चिड़िया आओ
हुआ सवेरा, चिड़िया आओ
खिड़की से भीतर घुस आओ,
दादा जी हैं गए टहलने
चलो, बैठ कुर्सी पर जाओ।
आया है अखबार अभी ही
इसे मेज पर रख फैलाओ
अलमारी में ऐनक उनकी
उसे आँख पर जरा चढ़ाओ।
नंदन-वन की खबर चटपटी
ढूँढ़-ढूँढ़कर हमें सुनाओ,
कौए ने की क्या शैतानी
कुछ बुलबुल के हाल सुनाओ।
मैना की शादी में कितने
बाराती थे, जरा बताओ,
हरे रंग के तोते जी की
लाल चोंच क्यों, राज बताओ।
बगुले जी क्यों मौन खड़े हैं
एक पैर पर, जरा बताओ,
रहना दूर नजर से उनकी
सभी मछलियों को समझाओ!
सुबह-सुबह ना डाँट खिलाओ,
खुली हुई है खिड़की, ऊपर
दूर गगन में तुम उड़ जाओ।
नानी जी
दूर गाँव में रहती अपनी नानी जी,
कौन सुनाए मोहक कथा कहानी जी!
राजा-रानी, सूरज-चंदा
जगमग तारावलियों की,
इंद्रधनुष से पंख उगाए
झिलमिल आती पयिों की,
हैं किस्सों की भरी पिटारी नानी जी
याद जिन्हें हैं ढेरों कथा-कहानी जी!
नंदन बन, अद्भुत पशु-पक्षी
मोहक फूल-तितलियों की,
बादल, धूप, परी, सिमसिम की
सागर नदी मछलियों की।
कब आएँगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी!