ए हो नेहधर हम नीरधर चातक हैं
ए हो नेहधर हम नीरधर चातक हैं ,
रटनि हमारि घटि है न कहैँ फेरि फेरि ।
भौँर कैसी दौर हम दौरिहैं न ठौर ठौर ,
द्विज श्याम सुमन समूहन को घेरि घेरि ।
चुनि कै अँगारन चकोर तौरि लैँहैँ नाहिँ ,
मोरहू को तौर लै न नाग खैँहैँ हेरि हेरि ।
प्यास मरि जैहैँ द्वार और के न जैहैँ ,
योँ ही जनम बितैहैँ नाम रावरोई टेरि टेरि ।
श्याम का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।