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शहरयार

शहरयार की रचनाएँ

ख़्वाब का दर बंद है  मेरे लिए रात ने आज फ़राहम किया एक नया मर्हला । नींदों ने ख़ाली किया अश्कों से फ़िर भर दिया… Read More »शहरयार की रचनाएँ