तुम्हीं तलाशो तुम्हें तलाश-ए-सहर होगी
तुम्हीं तलाशो तुम्हें तलाश-ए-सहर होगी,
हमको मालूम है सहर किसे मयस्सर होगी।
पाग़ल हो हाथ उठाए हो दुआ माँग रहे हो,
पिघला ख़ुदा का दिल तो बारिश-ए-ज़हर होगी।
चाँदनी की आस में आँखें गँवाए बैठे हो,
चाँद जलाके रख देगी अगर हमारी नज़र होगी।
छोड़ो हमारा साथ हम इम्तिहान की तरह हैं,
नतीजे वाली बात हुक्मरान के घर होगी।
अपनी तो ज़िंदगी की रफ़्तार ही कुछ ऐसी है,
जीने को यहाँ जिए हैं उम्र अगले शहर होगी।
कश्ती का मुसाफ़िर हूँ, उस पार उतरना है
कश्ती का मुसाफ़िर हूँ उस पार उतरना है,
मल्लाह के हाथों में जीना और मरना है ।
जीना है समंदर के सीने से लिपट जाना,
साहिल की तरफ बढ़ना जीना नहीं मरना है ।
घर छोड़ के जाना तुम गर छोड़ दे घर तुमको,
तारों का निकलना ही रातों का सँवरना है ।
महबूब के चेहरे में है भोलापन कितना,
बस आँख में बस जाऊँ मेरा यही सपना है ।
घर दुनिया नहीं मेरी, दुनिया है घर मेरा,
हद-बेहद दोनों के तूफ़ाँ से गुजरना है ।
दिल की तुझे कह डालूँ, फिर तेरी सुनूँ तुझसे,
राजेश रिषि होकर हमको क्या करना है ।
आदमी और आदमी की जात देखिए
आदमी और आदमी की जात देखिए,
इसकी शह पे उसको दी है मात देखिए ।
इक हाथ में उसूल, दूजे में स्वार्थ है ।
साथ साथ उठेंगे दोनों हाथ देखिए ।
आपकी ख़ामोशी की कीमत बताइए,
निकल न जाए मुँह से सच्ची बात देखिए ।
अब दोस्तों से दुश्मनी का जादू सीख लो,
रिश्ते ही देंगे ज़ख़्मों की सौगात देखिए ।
अब गिरेगी छत या डूबेगा मेरा घर ,
आप दिल बहलाइए बरसात देखिए ।
इस नस्ल में ऐसे भी कुछ लोग होते हैं,
गोया है अदब बीवी सुलाया साथ देखिए ।
बीज बोया है फसल काटेंगे
बीज बोया है फसल काटेंगे,
दर्द बोया है ग़ज़ल काटेंगे ।
आपकी उम्र बड़ी कीमती है,
ज़िन्दगी सूद सी हम काटेंगे ।
रोज़ा जब रोज़ की ज़रूरत हो,
ईद पर मिलकर भूख बाँटेंगे ।
आप उसूलों की बात करते हैं,
आप थूकेंगे आप चा
किस से रूठें किस से बोलें
किस से रूठें किस से बोलें
किस की मानें किस को तोलें
जिस का पलडा देखें भारी,
ऐन वक़्त पर उस के हो लें
गंगा जब दर से ही निकले,
क्यों ना हाथ उसी में धो लें
तुम भी सच जब ताक पे रखो,
हम भी झूठ कहाँ तक बोलें
अपनी भूख पे अपनी रोटी,
नहीं मिली सामूहिक रो लें
टेंगे ।
मेरे सामर्थ्य को चुनौती मत दो
मेरे सामर्थ्य को चुनौती मत दो,
दर्द में बेशक कटौती मत दो ।
बंधक है मेरे पास ख़ुदगर्ज़ी आपकी,
मुझे सहानुभूति की फ़िरौती मत दो ।
रोशनी उधार की घर चाट जाएगी,
अपने नाम की रंगीन ज्योति मत दो ।
छीन कर खाने की तुम्हें आदत है,
मेरे मासूम से बच्चे को रोटी मत दो ।
शर्त पर आपने हाथों में मेरे हाथ दिया
शर्त पर आपने हाथों में मेरे हाथ दिया,
शर्त के टूटने तक कायदे से साथ दिया ।
निगाह टूट गई चाँद तक आते जाते,
रात के सफ़र में जुगनू ने बड़ा साथ दिया ।
कट गई उम्र यहाँ एक ख़्वाब की ख़ातिर,
आपने ख़्वाब ही में उम्रभर को काट दिया ।
आपने मंच से उस मंच की तारीफ़ कर दी,
भीड़ ख़ामोश है किस आदमी का साथ दिया ।
वो जो हँसने में दर्शन तलाश करते हैं,
पूछिए रोने पर कितनों ने उनका साथ दिया ।
फिर कोई कृष्ण सा ग्वाला हो
फिर कोई कृष्ण सा ग्वाला हो,
फिर मीराँ फिर प्याला हो ।
फिर चिड़िया कोई खेत चुगे,
फिर नानक रखवाला हो ।
फिर सधे पाँव कोई घर छोड़ें,
फिर रस्ता गौतम वाला हो ।
फिर मरियम की कोख भरे,
फिर सूली चढ़ने वाला हो ।
हम घर छोड़ें या फूँक भी दें,
जब साथ कबीरा वाला हो ।
ज़िंदगी जितना तू चाहे मुझे परेशान करके देख
ज़िंदगी जितना तू चाहे मुझे परेशान करके देख,
घटा दे उम्र मेरी सुन, उसी के नाम करके देख ।
गुनाह मैंने किया है, हाँ मोहब्बत करके देखी है,
जफ़ा का ज़िक्र क्या करना वफ़ा बदनाम करके देख ।
मैं कब कहता हूँ ज़ख़्मों की कोई मरहम बनाकर दे,
हादसे ख़ुद तलाशेंगे मुझे बेनाम करके देख ।
सहर जब होने को होती है मुझे तब नींद आती है,
मुझसे बात करनी हो, शाम मेरे नाम करके देख ।
हँसते खेलते ये लोग तेरा गिरेबान क्यूँ थामें,
मेरे दुख जागते हों उस घड़ी आराम करके देख ।
बुल्ले शाह-सी यारी रखता हूँ
बुल्ले शाह-सी यारी रखता हूँ
नानक खुमारी रखता हूँ
मीरा के तन मन कृष्ण मैं
सूरत तुम्हारी रखता हूँ
अपना फ़रीदी वेश है
दरवेश दारी रखता हूँ
चादर कबीरी जस की तस
ख़ातिर तुम्हारी रखता हूँ
ईसा-सी माफ़ी दे सकूँ
कोशिश ये जारी रखता हूँ