आलि हौँ तो गई जमुना जल को
आलि हौँ तो गई जमुना जल को सु कहा कहौँ बीच बिपत्ति परी ।
घहराइकै कारी घटा उनई इतने ही मैँ गागरी सीस धरी ।
रपट्यो पग घाट चड़्यो न गयो कवि मँडन ह्वै के बेहाल गिरी ।
चिरजीवहु नन्द को बारो अरी गहि बाँह गरीब ने ठाढ़ी करी ।
मँडन का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।