आएँ आँसू अगर आँखों में तो बस पी जाएँ
आएँ आँसू अगर आँखों में तो बस पी जाएँ
हाल सब पूछते हैं हम न कहीं भी जाएँ
देखते हो जो कभी महव-ए-सुख़न ख़ुद से हमें
हैं वो बातें भी के ख़ुद से जो फ़क़त की जाएँ
हम कई रोज़ से बे-वजह बहुत ख़ुश हैं चलो
ज़िंदगी की ये अदाएँ भी तो देखा जाएँ
हम तो यूँ चुप हैं कि क्या बात किसी से की जाए
फिर भी मुँह से कई बातें तो निकल ही जाएँ
राह चलते मैं जिसे देखता हूँ लगता है
जैसे बे-वजह सी आँखें हैं के तकती जाएँ
क्या मिलें ‘तल्ख़’ किसी से कभी आते जाते
घर की चौखट पे क़दम रख के पलट भी जाएँ
अभी शुऊर ने बस दुखती रग टटोली है
अभी शुऊर ने बस दुखती रग टटोली है
अभी तो ज़िंदगी बस नींद ही में बोली है
किसी ख़याल ने शब को जो आँख खोली है
दुखों की ओस में दिल ने नवा भिगो ली है
पड़ी नहीं है तुम्हें वक़्त की अभी तक मार
भुगत सकोगे भी क्या तुम ज़बाँ तो खोली है
मज़ाक बस ये किया मेरे साथ फ़ितरत ने
मता-ए-दिल भी मेरी बस नज़र में तोली है
कभी इस अपने तसव्वुर पे आँख भी भर आई
क़ज़ा के दोश्ज्ञ पे जैसे बक़ा की डोली है
बहुत हैं रोज़-ए-सवाब-ओ-गुनाह देखने को
बहुत हैं रोज़-ए-सवाब-ओ-गुनाह देखने को
के हम हैं ज़िंदगी-ए-बे-पनाह देखने को
अनेगी अब नज़र इंकार सो रूके है सभी
ख़ुद अपनी आँख से अपनी निगाह देखने को
मेरी नवा को जो पाकीज़गी अता कर दे
तरस रहा हूँ वो मासूम चाह देखने को
मैं संग-ए-राह नहीं दिल के इस दोराहे पर
खड़ा हुआ हूँ फ़क़त अपनी राह देखने को
मिला दिया हमें अपनों से शुक्रिया ऐ वक़्त
यही मिले थे हमें यूँ तवाह देखने को
तुनुक-मिज़ाज हैं हम यूँ न रोज़ रोज़ मिलो
बहुत है आओ अगर गाह गाह देखने को
जो मेरे बारे में मुझ से भी मोतबर है कोई
मैं जी रहा हूँ तेरा वो गवाह देखने को
सुन ऐ हमारे सियाह ओ सफ़ेद के मालिक
हम आए हैं वो सफ़ेद ओ सियाह देखने को
तुम आँख तक नहीं मलते मचा हो जब कोहराम
तुम आँख खोलते हो सिर्फ वाह देखने को
वो चुप तो यूँ है कि आगाह जिन को करना था
जिए न लम्हा-ए-यक-इंतिबाह देखने को
ये किस की आह लगी घर नहीं कोई मिलता
हर इक मकान है ख़ुद सब की राह देखने को
खुला के दीद-ए-इबरत निगाह कोई न था
उठी थी यूँ तो हर इक की निगाह देखने को
जो सब की जान का जंजाल ये निबाह है ‘तल्ख़’
मैं सब के साथ हूँ बस वो निबाह देखने को