एक-रदन कुंजर-बदन, लम्बोदर लघु-नैन। सिद्धि लही जग सुमिर तुहिं, कस पाँऊ गौ मैं न।।1।। फाँदि दीठि-गुनि मन-घटहिं, रूप-कूप में डारि।…