रांगेय राघव की रचनाएँ
डायन सरकार डायन है सरकार फिरंगी, चबा रही हैं दाँतों से, छीन-गरीबों के मुँह का है, कौर दुरंगी घातों से । हरियाली में आग लगी… Read More »रांगेय राघव की रचनाएँ
डायन सरकार डायन है सरकार फिरंगी, चबा रही हैं दाँतों से, छीन-गरीबों के मुँह का है, कौर दुरंगी घातों से । हरियाली में आग लगी… Read More »रांगेय राघव की रचनाएँ