श्रद्धा जैनकी रचनाएँ
तुम्हें भी आँख में तब क्या नमी महसूस होती है ? ख़ुशी बेइंतहा जब भी कभी महसूस होती है तुम्हें भी आँख में तब क्या… Read More »श्रद्धा जैनकी रचनाएँ
तुम्हें भी आँख में तब क्या नमी महसूस होती है ? ख़ुशी बेइंतहा जब भी कभी महसूस होती है तुम्हें भी आँख में तब क्या… Read More »श्रद्धा जैनकी रचनाएँ
ओम जय जगदीश हरे (1) ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट दास जनों के संकट क्षण में दूर करे… Read More »श्रद्धा राम फिल्लौरी की रचनाएँ
कुछ का व्यवहार बदल गया कुछ का व्यवहार बदल गया। कुछ का नहीं बदला। जिनसे उम्मीद थी, नहीं बदलेगा उनका बदल गया। जिनसे आशंका थी,… Read More »श्रीकांत वर्मा की रचनाएँ
पद / 1 राधा चरन की हूँ सरन। छत्र चक्र सुपह्म राजत सुफल मनसा करन॥ उर्ध्व रेखा जब धुजादुति सकल सोभा धरन। मंजु पद गज-गति… Read More »श्रीजुगलप्रिया की रचनाएँ
बैठी अटा पर, औध बिसूरत बैठी अटा पर, औध बिसूरत पाये सँदेस न ‘श्रीपति पी के। देखत छाती फटै निपटै, उछटै जब बिज्जु छटा छबि… Read More »श्रीपति की रचनाएँ
देहात के लोग वे अपने वस्त्र ख़ुद सिलते थे सफ़र में जाने से पूर्व उन्हें नहीं थी गाड़ी की दरकार वे पैदल चलते ‘चलाते चरणदास… Read More »श्रीनिवास श्रीकांत की रचनाएँ
सुबह सूरज की किरणें आती हैं, सारी कलियाँ खिल जाती हैं, अंधकार सब खो जाता है, सब जग सुन्दर हो जाता है चिड़ियाँ गाती हैं… Read More »श्रीप्रसाद की रचनाएँ
सरल अभिलाषा नहीं महाकवि और न कवि ही, लोगों द्वारा कहलाऊँ सरल शहीदों का चारण था, कहकर याद किया जाऊँ लोग वाह वाही बटोरते, जब… Read More »श्रीकृष्ण सरल की रचनाएँ
सीखो फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना। तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना! सीख हवा के झोकों से लो,… Read More »श्रीनाथ सिंह की रचनाएँ
एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है… Read More »श्रीप्रकाश शुक्ल की रचनाएँ