कुम्भनदास की रचनाएँ
भक्तन को कहा सीकरी सों काम भक्तन को कहा सीकरी सों काम। आवत जात पन्हैया टूटी बिसरि गये हरि नाम॥ जाको मुख देखे अघ लागै… Read More »कुम्भनदास की रचनाएँ
भक्तन को कहा सीकरी सों काम भक्तन को कहा सीकरी सों काम। आवत जात पन्हैया टूटी बिसरि गये हरि नाम॥ जाको मुख देखे अघ लागै… Read More »कुम्भनदास की रचनाएँ
कहो मम्मी, कहो पापा कहाँ घूमें, किधर जाएँ- कहो मम्मी, कहो पापा। सुधाकर मुसकराता है, इशारे से बुलाता है, लिए है हाथ में पैसे- मिठाई… Read More »घमंडीलाल अग्रवाल की रचनाएँ