मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल
आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ
हाय ये नाज़ ये अंदाज़ ये ग़मजां ये गुरूर
इसने पामाल किए कितने शहंशाहों के ताज
नीमबाज़ आँखों में ये कैफ़ ये मस्ती ये शूरुर
पेश करते हैं जिसे अहले नज़र दिल का खिराज
ये तबस्सुम ये तकल्लुम ये सलीका ये शऊर
शोख़ संजीदा है या दार हँसी सादामिजाज़
आ तेरे वास्ते तामील करूँ ताजमहल
आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल
मोगरा, मोतियारा बेल-चमेली चम्पा
सौसनों, यासमनो, नश्तरनो, सर्वसमन
रातरानी, गुले मचकन, गुले नशरीं, सहरा
फूल लब, फूल दहन, फूल जतन, फूल बदन
मेरी सूरजमुखी, गुल चाँदनी, जूही, बेला
हरसिंगारो गुल, कचनार औ गुलनार चमन
मेरी नरगिस, मेरी गुल शब मेरी फूल कमल
आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल
शमा, खुर्शीद, कमर बर्क, शरर, सैयारे
है तेरे ही रुख़-ए-अनवार की इन सबमें चमक
लाल याकूत शफ़क फूल है ना अंगारे
है तेरे ही लब-ओ-रुख़सार की है इन सबमें झलक
वही उड़ते हुए छींटे हैं ये जुगनू सारे
तेरे सागर से अज़ल ही में गए थे वो छलक
बादा-ए-हुस्न मेरे जाम-ए-शफ़क रंग में ढल
आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
मुसलमाँ और हिन्दू की जान
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
मेरे बचपन का हिन्दुस्तान
न बंगलादेश न पाकिस्तान
मेरी आशा मेरा अरमान
वो पूरा पूरा हिन्दुस्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
वो मेरा बचपन वो स्कूल
वो कच्ची सड़कें उड़ती धूल
लहकते बाग़ महकते फूल
वो मेरे खेत मेरा खलियान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
वो उर्दू ग़ज़लें, हिन्दी गीत
कहीं वो प्यार कहीं वो प्रीत
पहाड़ी झरनों के संगीत
देहाती लहरा पुरबी तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
जहाँ के कृष्ण जहाँ के राम
जहाँ की शाम सलोनी शाम
जहाँ की सुबह बनारस धाम
जहाँ भगवान करें स्नान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
जहाँ थे तुलसी और कबीर
जायसी जैसे पीर फ़क़ीर
जहाँ थे मोमिन ग़ालिब मीर
जहाँ थे रहमन और रसखा़न
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
वो मेरे पुरखों की जागीर
कराची लाहौर औ कश्मीर
वो बिल्कुल शेर की सी तस्वीर
वो पूरा-पूरा हिन्दुस्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
जहाँ की पाक पवित्र ज़मीन
जहाँ की मिट्टी ख़ुल्द-नशीन
जहाँ महराज मोईनुद्दीन
ग़रीब-नवाज़ हिन्द सुल्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
मुझे है वो लीडर तस्लीम
जो दे यक-जेहती की तालीम
मिटा कर कुम्बों की तक़्सीम
जो कर दे हर क़ालिब एक जान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
ये भूखा शायर प्यासा कवि
सिसकता चाँद सुलगता रवि
हो जिस मुद्रा में ऐसी छवि
करा दे अजमल को जलपान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
मुसलमाँ और हिन्दू की जान
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
आज का चमन
आज इकट्टा है दानिशवरांने वतन
यनि उलमा ओ शोअराए फिक्र और फन
साहिबाने नजर हासिले अन्जुमन
नुक्तादानो फसीहाने अहले सुनन
है अदीबो खतीबे जबानो सुखन
येह रजा का चमन है रजा का चमन
अजमते सिदके सिद्दीके अकबर लिए
अदले फारूके आजम का मजहर लिए
सब्रे उस्माँ गनी समन्दर लिए
कुव्वते दस्ते बाजुए हेदर लिए
नकहतो रंगे हजरत हुसैनो हसन
येह रजा का चमन है रजा का चमन
इसमें अजमेरी ख्वाजा ही ख्वाजगी
सैयद मस्ऊदे गाजी का गुलशन यही
ये है फुलवारी अशरफ जहाँगीर की
रंगो बुए बरेलीयो मरेहरवी
इसमें साया फिगन पंजए पंजतन
येह रजा का चमन है रजा का चमन
इसमें सैयद मुहम्मद कछोछा की शान
मुफती अब्दु हफीज आगरा की है आन
इसमें हाफीजे मिल्लत के मिस्बाही आन
और मुजाहिदे मिल्लत हबीबुर्रहमान
सादगी जिसपा कुरबान हर बाँकपन
यह रजा का चमन है रजा का चमन
तुम मुझको याद करोगी
तुम्हारे आँगन में बरसात लिए जब सावन आएगा
तुम्हारी फुलवारी में जब आकर भौंरा मंडलाएगा
तुम मुझको याद करोगी…
जो मेरी याद सताएगी नींद बैरन हो जाएगी
डसेगी नागन बन के रात आँख आँसू बरसाएगी
तुम मुझको याद करोगी…
घटाएँ घिर-घिर आएँगी बहारें फिर-फिर आएँगी
कमी होगी मेरी महसूस तो नींदें उड़-उड़ जाएँगी
तुम मुझको याद करोगी…
सुनोगी मेरे ज़ख्मी गीत चेहरा ज़र्द हो जाएगा
जब आएगा ‘अजमल का’ नाम उठेगा मीठा-मीठा दर्द
तुम मुझको याद करोगी…