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मन मरन समय जब आवेगा

मन मरन समय जब आवेगा।
धन सम्पत्ति अरु महल सराएँ, छूटि सबै तब जावेगा ।।
ज्ञान मान विद्या गुन माया, केते चित उरझावेगा ।।
मृगतृष्णा जस तिरषित आगे, तैसे सब भरमावेगा ।।
मातु पिता सुत नारि सहोदर, झूठे माथ ठहावेगा ।।
पिंजर घेरे चैदिस विलपे, सुगवा प्रिय उड़ जावेगा ।।
ऐसो काल समसान समाना, कर गहि कौन बचावेगा ।।
जॉन ‘अधमजन’ जौं विश्वासी, ईसू पार लगावेगा ।।

श्रीवेंकेटेश्वर-समाचार दैनिक के (मार्गशीष 1990 विक्रमी, शुक्रवार) अंक से उद्धृत

अब क्या सोचत मूढ़ नदाना

अब क्या सोचत मूढ़ नदाना।
हित सुत नारी ठामहि रहिहै, धन-संपत के कौन ठिकाना ।।
माया मोह के जाल पसार्यो, बेरि पयानक क्या पछताना ।।
वास आपनो इतहि बँधायो, नात लगायो विविध विधाना ।।
दूत बुलावन आये द्वारा, मोह विवश भै माथ ठठाना ।।
काह करों कछु सक नहिं मेरे, सुध-बुध यहि अवसर बिसराना ।।
जॉन अधम कर जोरे टेरत, नाथ दिखावहु प्रेम अपाना ।।

श्रीवेंकेटेश्वर-समाचार दैनिक के (मार्गशीष 1990 विक्रमी, शुक्रवार) अंक से उद्धृत

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