आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत
आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत
अक़्ल वाले कम हैं दीवाने बहुत
साक़िया हम को मुरव्वत चाहिए
शहर में हैं वरना मयखाने बहुत
क्या तग़ाफ़ुल का अजब अन्दाज़ है
जान कर बनते हैं अंजाने बहुत
हम तो दीवाने सही नासेह मगर
हमने भी देखे हैं फ़रज़ाने बहुत
आप भी आएं किसे इनकार है
आए हैं पहले भी समझाने बहुत
ये हक़ीक़्त है कि मुझ को प्यार है
इस हक़ीक़त के हैं अफ़साने बहुत
ये जिगर, ये दिल, ये नींदें, ये क़रार
इश्क़ में देने हैं नज़राने बहुत
ये दयार-ए-इश्क़ है इसमें सहर
बस्तियाँ कम कम हैं वीराने बहुत
आये हैं समझाने लोग
आये हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग
दैर-ओ-हरम में चैन जो मिलता
क्यों जाते मैख़ाने लोग
जान के सब कुछ, कुछ भी न जाने
हैं कितने अंजाने लोग
वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने पहचाने लोग
अब जब मुझ को होश नहीं है
आये हैं समझाने लोग