अजीब ख़्वाब था उस के बदन में काई थी
अजीब ख़्वाब था उस के बदन में काई थी
वो इक परी जो मुझे सब्ज़ करने आई थी
वो इक चराग़-कदा जिस में कुछ नहीं था मेरा
वो जल रही थी वो क़िंदील भी पराई थी
न जाने कितने परिंदो ने इस में शिरकत की
कल एक पेड़ की तरक़ीब-ए-रू-नुमाई थी
हवाओ आओ मिरे गाँव की तरफ देखो
जहाँ ये रेत है पहले यहाँ तराई थी
किसी सिपाह ने ख़ेमे लगा दिये है वहाँ
जहाँ ये मैं ने निशानी तिरी दबाई थी
गले मिला था कभी दुख भरे दिसम्बर से
मिरे वजूद के अंदर भी धुँद छाई थी
इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे
इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे
वर्ना हर चीज़ आरजी़ है मुझे
एक साया मिरे तआकुब में
एक आवाज़ ढूँडती है मुझे
मेरी आँखो पे दो मुक़दस हाथ
ये अंधेरा भी रौशनी है मुझे
मैं सुख़न में हूँ उस जगह कि जहाँ
साँस लेना भी शाइरी है मुझे
इन परिंदो से बोलना सीखा
पेड़ से ख़ामुशी मिली है मुझे
मैं उसे कब का भूल-भाल चुका
ज़िंदगी है कि रो रही है मुझे
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
इक हवेली हूँ उस का दर भी हूँ
इक हवेली हूँ उस का दर भी हूँ
ख़ुद ही आँगन ख़ुद ही शजर भी हूँ
अपनी मस्ती में बहता दरिया हूँ
मैं किनारा भी हूँ भँवर भी हूँ
आसमाँ और जमीं की वुसअत देख
मैं इधर भी हूँ और उधर भी हूँ
ख़ुद ही मैं ख़ुद को लिख रहा हूँ ख़त
और मैं अपना नामा-बर भी हूँ
दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर
तू जो सुन ले तो मुख़्तसर भी हूँ
एक फलदार पेड़ हूँ लेकिन
वक़्त आने पे बे-समर भी हूँ
इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं
इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं
जो देखता हूँ मैं वो भूलता नहीं
किसी मुंडेर पर कोई दिया जला
फिर इस के बाद क्या हुआ पता नहीं
मैं आ रहा था रास्ते में फुल थे
मैं जा रहा हूँ कोई रोकता नहीं
तिरी तरफ़ चले तो उम्र कट गई
ये और बात रास्ता कटा नहीं
इस अज़दहे की आँख पूछती रहीं
किसी को ख़ौफ़ आ रहा है या नहीं
मैं इन दिनों हूँ ख़ुद से इतना बे-ख़बर
मैं बुझ चुका हूँ और मुझे पता नहीं
ये इश्क़ भी अजब कि एक शख़्स से
मुझे लगा कि हो गया हुआ नहीं
कुछ ज़रूरत से कम किया गया है
कुछ ज़रूरत से कम किया गया है
तेरे जाने का ग़म किया गया है
ता-क़यामत हरे भरे रहेंगे
इन दरख़्तों पे दम किया गया है
इस लिए रौशनी में ठंडक है
कुछ चराग़ो को नम किया गया है
क्या ये कम है कि आख़िरी बोसा
उस जबीं पर रकम किया गया है
पानियो को भी ख़्वाब आने लगे
अश्क दरिया में ज़म किया गया है
उन की आँखों का तजि़्करा कर के
मेरी आँखों को नम किया गया गया है
धूल में अट गए है सारे ग़ज़ाल
इतनी शिद्दत से रम किया गया है