राकेट उड़ा
राकेट उड़ा हवा में एक,
लाखों लोग रहे थे देख।
पहले खूब लगे चक्कर,
हुआ अचानक छू-मंतर।
जा पहुँचा चंदा के पास,
जहाँ न पानी, जहाँ न घास।
उलटे पाँव लौट आया,
साथ धूल-मिट्टी लाया!
राजा-रानी
एक था राजा
एक थी रानी,
दोनों करते-
थे मनमानी।
राजा का तो
पेट बड़ा था,
रानी का भी-
पेट घड़ा था!
खूब थे खाते
वे छक-छककर,
फिर सो जाते
थे थक-थक कर!
काम यही था
बक-बक, बक-बक,
नौकर से बस
झक-झक, झक-झक!
पगलो मौसी
पगलो मौसी सोती है,
सोते-सोते जगती है।
जगते-जगते सोती है,
पगलो मौसी रोती है।
रोते-रोते हँसती है,
हँसते-हँसते रोती है
पगलो मौसी मोटी है,
मोटी है जी, खोटी है।
कद में एकदम छोटी है
मानो फूली रोटी है।