अंत्येष्टि से पूर्व
हे देव
मुझे बिजलियाँ, अँधेरे और साँप
डरा देते हैं
मुझे घने जंगल की नागरिकता दो
मेरे डर को मित्रता करनी होगी
दहशत से
रहना होगा बलिष्ठ
हे देव
मैने एक जगह रुक वर्षो
आराम किया है
मुझे वायु बना दो
मै कृषकपुत्रों के गीले बनियानों
और रोमछिद्रों मे
समर्पण करूँ खुद को
हे देव
मै अपने माता-पिता की
सेवा ना कर सकी
मुझे ठंडी ओस बना दो
मै गिरूँ वृद्धाश्रम के आँगन के
गीली घासो पर
वे रखे मुझपर पाँव और मै
उन्हे स्वस्थ रखूँ
हे देव
मैं कभी सावन मे झूली नही
मुझे झूले की मज़बूत गाँठ बना दो
उन सभी स्त्रियो और बच्चो को
सुरक्षित रखूँ
जो पटके पर खिलखिलाते हुए बैठें
और उतरें तो तृप्त हो
हे देव
कुछ लोगों ने छला है मुझे
मुझे वटवृक्ष बना दो
सैकड़ो पक्षी मेरे भरोसे
भोर मे भरें उड़ान और रात भर करें
मुझमें विश्राम
मै उन्हे भरोसेमंद सुरक्षित नींद दूँ
हे देव
मेरा सब्र एक अमीर
नवजात शिशु है
हर क्षण देखभाल माँगता है
मुझे एक हज़ार आठ मनकों
वाली रूद्राक्ष माला बना दो
मेरे सब्र को होना
होगा अघड़
हे देव
मुझे चिठ्ठियों का इंतज़ार रहता है
मुझे घाटी के प्रहरियों की पत्नियों
का दूत बना दो
उन्हें भी होता होगा संदेसों
का मोह
मै दिलासा दे उन्हे व्योम
कर सकूँ
हे देव
मैने सवालों के बीज बोए
वे कभी फूल बन ना खिल सकें
मुझे भूरी संदली मिट्टी बना दो
मै तपकर और भीगकर
उगाऊँ कई कई
सैकड़ो खलिहान
हे देव
मै धरती और सितारों के बीच
बेहद बौनी लगती हूँ
मुझे ऊँचा पहाड़ बना दो
मै बादल के फाहों पर
आकृतियाँ बना उन्हे
मनचाहा आकार दूँ
हे देव
मै अपनी पकड़ से फिसल कर
नही रच पाती कोई दंतवंती कथा
मुझे काँटेदार रास्ता बना दो
मेरे तलवो को दरकार है
टीस और मवाद के ठहराव की
अनुभव लिखने को
हे देव
चिकने फर्श पर मेरे
पैर फिसलते है
मुझे छिले हुए पंजे दो
मेरे पंजो के छापे
सबको चौराहों का
संकेत दें और करें
उनका मार्गदर्शन
हे देव
मेरे आँसू घुटने टिका
बहने को तत्पर रहते हैं
मुझे मरूस्थल बना दो
वीरानियो और सूखी धरा को
ये हक है कि वे मेरे अश्रुओं
को दास बना लें
हे देव
प्रेम मेरी नब्ज़ पकड़
मेरी तरंगे नापता है
मुझे बोधिसत्व का जखीरा बना दो
त्याग मेरा कर्म हो
मुझे अस्वीकार की
स्वतन्त्रता चाहिए
हे देव
मेरे कुछ सपने अधूरे रह गए है
मुझे संभव और असंभव के बीच
की दूरी बना दो
मै पथिको का बल बनूँ
उनकी राह की
बनूँ जीवनगाथा
हे देव
मैने अब तक पुलों पर सफर किया है
मुझे तैराक बना दो
मै हर शहरी बच्चे को तैराकी
सिखा सकूँ
शहर के पुल बेहद
कमज़ोर हैं
हे देव
मेरे बहुत से दिवस बाँझ रहे है
मुझे गर्भवती बना दो
मेरी कोख से जन्मे कोई इस्पात
जो ढले और गले केवल
संरक्षण करने को
सभ्यताओं को जोड़े रखे
हे देव
मै अपनी कविताओं की किताब
ना छपवा सकी
मुझे स्याही बना दो
मै समस्त कवियों की
लेखनी मे जा घुलूँ
और रचूँ इतिहास
बू
मैने एक जगह रूक के डेरा डाला
मैने चाँद सितारो को देखा
मैने जगह बदल दी
मैने दिशाओ को जाना
मै अब खानाबदोश हूँ
मै नखलिस्तानो के ठिकाने जानती हूँ
मै अब प्यासी नही रहती
मैने सीखा कि एक चलती हुई चीटी एक उँघते हुये
बैल से जीत सकती है
मुझे बंद दीवारो से बू आती है
मै सोई
मैने सपना देखा कि जीवन एक सुगंधित घाटी है
मै जगी
मैने पाया जीवन काँटो की खेती है
मैने कर्म किया और पाया कि उन्ही काँटो ने
मेरा गंदा खून निकाल दिया
मैने स्वस्थ रहने का रहस्य जाना
मुझे आरामदायक सपनो से बू आती है
मै दुखी हुई
लोगो ने सांत्वना दी और बाद मे हँसे
मै रोई
लोगो ने सौ बाते बनाई
मैने कविता लिखी
लोगो ने तारीफे की
मेरे दुख और आँसू छिप गये
मै जान गई कि लोगो को दुखो के कलात्मक
ढाँचे आकर्षित करते है
मुझे आँसुओ से बू आती है
मैने बातूनियो के साथ समय बिताया
मैने शांत रहना सीखा
मैने कायरो के साथ यात्रा की
मैने जाना कि किन चीज़ो से नही डरना
मैने संगीत सुना
मैने अपने आस पास के अंनत को भर लिया
मै एकाकीपन मे अब झूम सकती हूँ
मुझे खुद के ही भ्रम से बू आती है
मैने अपने बच्चो को सर्कस दिखाया
मुझे जानवर बेहद बेबस लगे
मैने बच्चो से बाते की
उनकी महत्वकांक्षाओ की लपट ऊँची थी
मैने उन्हे अजायबगर और पुस्तकालय मे छोड़ दिया
अब वे मुझे अचम्भित करते है
मैने जाना कि बच्चो के साथ पहला कदम ही
आधी यात्रा है
मुझे प्रतिस्पर्धाओ से बू आती है
मुझे दोस्तो ने शराब पिलाई
मैने नक्सली भावो से खुद को भर लिया
मैने जलसे देखे
मैने अपना अनमोल समय व्यर्थ किया
मै खुद ही मंच पर चढ़ गई
मेरे दोस्त मुझपर गर्व करते है
मैने जाना कि सम्राट सदैव पुरूष नही होते
मुझे खुद के आदतो से बू आती है
मुझे कठिनाईयाँ मिली
मैने मुँह फेर लिया
मैने आलस बन आसान डगर चुनी
मुझे सुकून ना मिला
मैने कठिनाईयो पर शासन किया
मेरी मेहनत अजरता को प्राप्त हुई
मैने देखा कठिनाई अब भूत बन मेरे
पीछे नही भागती
मुझे बैठे हुये लोगो से बू आती है
मैने प्रेम किया
मैने दारूण दुख भोगा
मैने अपने प्रेमी को दूसरी औरतो से अतरंगी
बाते करते देखा
मै जलती रही रात भर
मैने प्रेम को विसर्जित कर दिया
प्रेम ईश्वर के कारखाने का एक मुद्रणदोष है
प्रेम कुष्ठ रोग और तपैदिक से भी भयंकर
एक दिमागी बीमारी है
मुझे उस पल से बू आती है
जब मैने प्रेम किया
पश्चिम का स्वप्न
उस रात एड़ियों से उचक कर
देखा तो पाया शेक्सपियर
बैठा है गुमटी पर कमर पर
रोमियो जुलियट बाँधे
एक सौनेट का दिलफेंक
चुँबन उछाल फेंका मुझपर
दाऐं मेरे बैठा था गालिब
सिगड़ी फूँकता था अपने
कुछ दो एक कलाम से
घूरता था मेरी आँखो को
अपने आँखो के पारे से
तेज़ाब से लबरेज़ था तौबा
बगल वाले पेड़ पर उकड़ूँ
मार बैठा था मंटो
झुलसा देने वाली धूप से
भरा था काफिर
साफिया से ब्रेकअप कर
के आया था शायद
काफ्का बीमा की नई
पौलिसी लिये गर्दन के
ठीक पीछे से बोहेमिया का
प्रांतीय गीत गाता था
दोनो मुठ्ठी मे किस्सागोई लिये
मेरे करीब आना चाहता था
हवा की लपटों ने चूमा मेरे
बाऐं गाल को इश्क से
सुर्ख के निशां जा पहुँचे एक
मज़ार पर जहाँ उर्स मनाती
थी हीर और सारे प्रेमी अपने
उपनाम को राँझा लिखते थे
था कौन सा आसमां ये
जहाँ नीला नदारद था
सितारे मूर्छित थे
चाँद कोमा मे जाग रहा था
उल्का पिण्डों पर कविताएँ
जमी पड़ी थी हर तरफ
एक बादल डबडबाया था
ज़मीं मेरे प्रेमी के कँधों
से अधिक बलिष्ट थी
सप्तर्षि मंडल का शव
मेरी छाती से लिपटा था
तारकोल चिपका था ग्रहों
के जिस्मों पर गाढ़ा गाढ़ा
फरिश्ते रिश्वत माँगते थे
पूर्व का स्वप्न पश्चिम
मे खुला था ….
पिछली रात एक कविता
अधूरी रह गई थी
लहू सारा सूख चुका था
पूर्व कि स्वप्न पश्चिम
मे खुला था ….
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
जब स्कूल मे होती है तो अपना
होमवर्क अपने क्रश से करवाती है
उन्हे पसन्द नही होता कैटवाॅक करना
जब काॅलेज जाती है तो बोले गये डीबेट
के लिये तालियो की गड़गड़ाहट ही
उनका पसन्दीदा गीत होता है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
बंक मारा करती है, नही पढ़ती साल भर
परीक्षा से ठीक पहले वाली रात
तैयारी कर तूती बजाया करती है
36,34,36 के मानको मे नही बँधा करती
नही सोती मुलायम बिस्तर पर
उनकी थकान उनका डनलप हुआ करता है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
छुपा लेती है माँ बाप से अपनी तकलीफे
खुद ही अदालत लगा खुद ही अपना
फैसला किया करती है
मुठ्ठियाँ भींच कर नही सुनती समाज के ताने
मुँहजोर जवाब दे सुन्न किया
करती है फूहड़ लोगो के कान
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
खाक होने की ख्वाहिश रखती है
पर जलने नही देती खुद को
कमर बलखा कर नही चलती
ना ही किया करती है किनारो से इश्क
लहरो की फिराक मे शोर
मचाया करती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
दंबगई से चीरती है उलझनो का सीना
उनका “i can” उनके “iq” से बहुत
बहुत बड़ा होता है
ज़िद्दी होती है नही करती समझौता
बिना बुकमार्क के ज़िन्दगी के पन्नो को
पढ़ा करती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
पसन्द नही करती तड़क भड़क
ऊल झलूल गाने सुनना
वे पसन्द करती है पहाड़ो पर चढ़ना,
गिरना और छील लेना खुद के घुटने
देवदार बन विशालकाय छत्र
घेरा बनाती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
छोटे छोटे कपड़े पहन शीशे के सामने
इतराया नही करती
हील्स नही वे पहनती है हवाई चप्पल
ज़रूरत पड़ने पर बिजली के बोर्ड,
मीटर की तारे और खराब नल ठीक
कर लिया करती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
नही होती है नाज़ुक
ना ही कमसिन होने का ढोंग करती है
होती है जंगली याक
नज़र झुका कर चलना उनकी अदा नही
हर अन्याय पर नथुनो को
फुला भभकती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
कर्कश ध्वनि सुन खामोशी नही ओढ़ती
ना ही बटोरती है चाँद की रौशनी
उनकी पुतलियो के तीरे
अलाव बन रास्तो को चौंधियाते है
हथेलियो पर जुगनू सजा
ब्रहमाण्ड को ठेंगा दिखाया करती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
इश्क नही किया करती
वे करती है इब्नेइंशा वाला फ्लर्ट
जानती है टिकाऊँ कुछ भी नही
लड़केवालो से शर्माती नही
उनके आँखो मे झाँककर सवाल
करती है और कहलाती है बेशर्म
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
बालो के किनारो से लटे नही
निकाला करती
कौलर ऊपर कर चक दे फट्टे कह
भीड़ को चीरती हुई हाउसफुल
वाले टिकट काउन्टर पर
धौल धप्पा जमाया करती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
गाँधारी बन समाज के लिये उदाहरण
नही बनेंगी
ज़रूरत पड़ने पर नोच लेंगी
गिद्धो की आँखे
अपने माँ बाबा को श्रवण बन
पालती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
अपना दिल तेज़ाब कर बैठती है
उन्हे चाह नही लम्बे तने वाले गुलाब की
या चाॅकलैट्स की
वे अपने आप मे इस्तानबुल शहर होती है
लड़को के झाँसो का
शिकार नही बनती
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ
अपने अहम को अपने झूठे बर्तनो
के साथ धो दिया करती है
फकीर हुआ करती है
आवारियत का कलमा पढ़ा करती है
कलुषित कायरो के लिये शौर्यगाथा
हुआ करती है
देवो के पसन्दीदा टापू की जंगली फूल
होती है बिगड़ी हुई लड़कियाँ
समाज से ही मिलता है इन्हे
बिगड़ी हुई लड़कियो वाला बिल्ला
यही बिगड़ी हुई लड़कियाँ समाज को अपने
दाऐं पैर के अगूँठे से ठेल कर नये कीर्तिमान
स्थापित करती है
और मिले हुये बिल्ले को गिल्ली बना अपने रौब
के डण्डे से समाज की आँख फोड़ती है
कुछ बिगड़ी हुई लड़कियाँ ….