तमाम उम्र हम
मृत्यु को जीवन से अलगाते रहे
तमाम हंसते-दमकते चेहरों
और उत्सवी नज़ारों से
उसकी परछाइयां मिटाते रहे

जैसे हम जीवन भर
गाते-नाचते उछलते-फलांगते
अपनी ही परछाइयों को लांघने का
उत्सव मनाते रहे…

हमने तुम्हारा नाम तक नहीं आने दिया
बहुत अपनों के होठों पर
जबकि तुम
उन होठों के आस-पास ही
मंडराती रहीं
एक दुःस्वप्न की तरह…

हर आदमी
अपने घर-आंगन से बहुत दूर और अलग
तुम्हारा ठौर-ठिकाना लगाता रहा
कि हवा में उड़ती
तुम्हारी राख, गंध और धुआं भी
अपनी बनाई हमारी दुनिया को
विरंजित-विरूपित न करे
तभी तो हमारा दाहिना हाथ
जहां एक तरफ़ जीवन को गाता रहा
बायां हाथ मौत को अलगाता रहा

छोटी-मोटी खुशियों और उत्सवों से हम
इतना अभिभूत रहे
कि तुम्हें सौंप दिया हमने
नाज़ियों, लादेनों और दंगाइयों के हाथों में
छोड़ आए तुम्हें
श्मशानों और कब्रिस्तानों
सीलन भरे तलघरों
अंधेरी सुरंगों और बीहड़ बियाबानों में

जहां से गुज़रते हुए
तुम्हारे बारे में सोचना भी मना हो गया
और इसलिए ही
यह जानने में तो
कई जीवन और कई युग बीत गए
कि तुम दरअसल मृत्यु कहां थी
तुम तो आजीवन हमारे साथ चलने वाली
हमारी ही परछाइयां थीं

हत्यारे जब बुद्धिजीवी होते हैं

हत्यारे जब बुद्धिजीवी होते हैं

वे तुम्हें ऐसे नहीं मारते

बख्श देते हैं तुम्हें तुम्हारी जिंदगी

बड़ी चालाकी से

झपट लेते हैं तुमसे

तुम्हरा वह समय

तुम्हारी वह आवाज

तुम्हारा वह शब्द

जिसमें तुम रहते हो

तुम्हारे छोटे-छोटे सुखों का

ठिकाना ढूंढ लेते हैं

ढूंढ लेते हैं

तुम्हारे छोटे-छोटे

दुखों और उदासियों के कोने

बिठा देते हैं पहरे

जहां-जहा तुम सांस लेते हो

रचते हैं झूठ

और चढ़ा लेते हैं उस पर

तुम्हारे ही समय

तुम्हारी ही आवाज

तुम्हारे ही शब्दों के

रंग रस गंध

वे

तुम्हारे ही शब्दों से

कर देते हैं

तुम्हारी हत्या

हत्यारे जब मसीहा होते हैं 

हत्यारे जब मसीहा होते हैं

वे तुम्हें ऐसे नहीं मारते…

बचा लेते हैं ढहने से

खंडहर होते तुम्हारे सपनों

की आखिरी ईंट को

किसी चमत्कार की तरह…

कि तुम इन हत्यारों में ही

देख सको

दैवी चमत्कार की

अलौकिक कोई शक्ति

तुम्हारी जर्जरित सांसों के

तार-तार होने तक

वे करते रहेंगे

और भी कई-कई चमत्कार

कि तुम इन्हें पूज सको

किसी प्राच्य देवता की तरह…

कि तुम्हारी अंतिम सांस के

स्खलित होने के ठीक पहले

उनके बारे में दिया गया

तुम्हारा ही बयान

अंतत: बचा ले सके उन्हें

दरिंदगी के तमाम संगीन आरोपों से…