आचार्य सारथी रूमी की रचनाएँ
भले ही मैं तुझे मय कह चुका हूँ भले ही मैं तुझे मय कह चुका हूँ, हक़ीक़त में तो मैं तेरा नशा हूँ! लकीरों में… Read More »आचार्य सारथी रूमी की रचनाएँ
भले ही मैं तुझे मय कह चुका हूँ भले ही मैं तुझे मय कह चुका हूँ, हक़ीक़त में तो मैं तेरा नशा हूँ! लकीरों में… Read More »आचार्य सारथी रूमी की रचनाएँ
गप्पू जी फिसले आलू की पकौड़ी, दही के बड़े, मुन्नी की चुन्नी में तारे जड़े। मँूग की मँगौड़ी, कलमी बड़े, मंगू की छत पर दो… Read More »आचार्य अज्ञात की रचनाएँ
आखेट तुम उस परिन्दे की तरह कब तक डैने फड़फड़ाओगे जिसकी गर्दन पर रखा हुआ है चाहत का चाकू उड़ान भरने से पहले ही तुमने… Read More »आग्नेय की रचनाएँ
बहार आई है फिर चमन में नसीम बहार आई है फिर चमन में नसीम इठला के चल रही है हर एक गुंचा चटक रहा है… Read More »आग़ा ‘शाएर’ क़ज़लबाश की रचनाएँ
टुकड़ों में भलाई हर जगह मचा है शोर ख़त्म हो गया है अच्छा आदमी रोज़ आती हैं ख़बरें अच्छे आदमी का साँचा बेच दिया है… Read More »आकांक्षा पारे की रचनाएँ