खिल-खिल जाएँ सारे पत्ते छीन लिये क्यों आज हवा ने पेड़ों के सब सुंदर कपड़े, कहाँ छिपाए उसने कपड़े सारे…
ऋत्विक पर्व जब भी आकाश पुष्प झरता है धरा पर तभी उगते हैं ये बर्फ के फूल हरे वृक्षों पर…
कोई खतरा नहीं शहर की सड़कों पर दौड़ती-भागती गाड़ियों के शोर में सुनाई नहीं पड़ती सिसकियाँ बोझ से दबे आदमी…
भाव दो,भाषा प्रखर दो शारदे भाव दो, भाषा प्रखर दो शारदे लेखनी में प्राण भर दो शारदे मेरे मानस का…
आकाश आकाश मैंने तुमसे न तुम्हारी ऊँचाई माँगी थी, न तुम्हारा विस्तार मैंने सिर्फ़ तुम्हारे एक छोटे-से टुकड़े के नीचे…
गीत कविता का हृदय है हम अछांदस आक्रमण से, छंद को डरने न देंगे युग-बयार बहे किसी विधि, गीत को…
रघुपत बाबू को गालियों से गोदता है गेहूँ का बोझ उठाये गनेसी ज़रा रूककर देखता है मेंड़ पर बैठे रघुपत…
सारी दुनिया मेरी है सुनो-सुनो एक बात सुनाऊँ कैसी अजब पहेली है, जिधर-जिधर मैं नजर घुमाऊँ सारी दुनिया मेरी है।…
परिभाषाएँ जीवन प्रसव की भूमिका जन्म प्रस्तवाना मौत उपसंहार मानव क्षणिक सुख से उपजी एक अर्थहीन अस्तित्व हीन रचना। समय…
ऐसे अमर कवियों को संबोधित नमस्ते कवि जी, कैसे हैं आप ? बेहद गंभीर संयत शांत हैं इन दिनों में भी…