गीत चतुर्वेदी की रचनाएँ
उभयचर-1 चेस्वाव मिवोश और विष्णु खरे के लिए दुख भरा था तुममें दुख से भरा यह जग था इस जग का तुम मानते नहीं थे… Read More »गीत चतुर्वेदी की रचनाएँ
उभयचर-1 चेस्वाव मिवोश और विष्णु खरे के लिए दुख भरा था तुममें दुख से भरा यह जग था इस जग का तुम मानते नहीं थे… Read More »गीत चतुर्वेदी की रचनाएँ
तुम मेरे साथ तुम मेरे साथ एक दो क़दम चलने का अभिनय मत करो एक ही बिंदू पर खड़े-खड़े दूरियां तय मत करो..! तुमको जानता… Read More »गिरीष बिल्लोरे ‘मुकुल’ की रचनाएँ
माँ सरस्वती जय, जय, जय हे माँ सरस्वती, तुमको आज निहार रहा हूँ । अपने हाथ पसार रहा हूँ ।। ज्ञान-शून्य हो भटक रहा हूँ,… Read More »गिरीश पंकज की रचनाएँ
पद / 1 अद्भुत रचाय दियो खेल देखो अलबेली की बतियाँ। कहुँ जल कहुँ थल गिरि कहूँ कहूँ कहूँ वृक्ष कहूँ बेल॥ कहूँ नाश दिखराय… Read More »गिरिराज कुवँरि की रचनाएँ
सुखांत तुम यही करोगे अंत में मुझे दंड ख़ुद को पुरस्कार दोगे किंतु तुम्हारा किया यह अंत सिर्फ़ एक विरामचिन्ह है दिशासूचक केवल मील का… Read More »गिरिराज किराडू की रचनाएँ
आकांक्षा मैं तुम्हारी आँखों में झाँकूँ और झाँकता ही रहूँ । मैं तुम्हारी आँखों की गहराई नापूँ और नापता ही रहूँ । तुम्हारे आकाश को… Read More »गिरिराजशरण अग्रवाल की रचनाएँ
लाठी में गुण बहुत हैं लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग। गहरि नदी, नाली जहाँ, तहाँ बचावै अंग।। तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता… Read More »गिरिधर की रचनाएँ
राष्ट्रीय गान जय जय जय जय हिन्दुस्तान जय जय जय जय हिन्दुस्तान महिमंडल में सबसे बढके हो तेरा सन्मान सौर जगत् में सबसे उन्नत होवे… Read More »गिरिधर शर्मा ‘नवरत्न’ की रचनाएँ
मैं न बनूँगा दादा जैसा क्या कहती है माँ, दादा के जितना बड़ा कभी हूँगा! जो हो अपने को, उन जैसा कभी न होने मैं… Read More »गिरिजादत्त शुक्ल ‘गिरिश’ की रचनाएँ
मेरे युवा-आम में नया बौर आया है मेरे युवा-आम में नया बौर आया है ख़ुशबू बहुत है क्योंकि तुमने लगाया है आएगी फूल-हवा अलबेली मानिनी… Read More »गिरिजाकुमार माथुर की रचनाएँ