ज़िंदगी इक किताब है यारो
हर वरक़ लाजवाब है यारो।
पढ़ सको तो पढ़ो मुहब्बत से
दिल की उम्दा किताब है यारो।
ख़ुदनुमाई जहाँ की फ़ितरत है
ये नशीली शराब है यारो।
लोक सेवक नहीं यहाँ कोई
हर कोई इक नवाब है यारो।
हक़फ़रोशी है जिस तरफ़ देखो
दोस्ती इक नक़ाब है यारो।
क़त्ल होती रही शराफ़त क्यों
वक़्त मांगे हिसाब है यारो।
लूट का दरबार है चारों तरफ़
आज अत्याचार है चारों तरफ़।
हर कोई भरमा रहा है हर घडी
गुमशुदा संसार है चारों तरफ।
अब घटाएँ ख़ौफ़ की हैं छा गईं
आदमी बेज़ार है चारों तरफ़।
जितने भी हैं लोग बेबस हैं यहाँ
ज़िंदगी लाचार है चारों तरफ़।
क्या मिले दैरो-हरम मे बंदगी से
मौन की दीवार है चारों तरफ़।
सर्द रातों में दिल मचलता है
दिल में ग़म करवटें बदलता है।
झूठे सपनों में रात बीती है
जाग जाऊँ कि दिन निकलता है।
क्यों फ़िज़ा में है कँपकपी तारी
कौन मन को मेरे मसलता है।
तुम जो आओ तो रोशनी फैले
वरना सूरज तो रोज़ ढलता है।