Poem by Charles Bukowski
Alone With Everybody the flesh covers the bone and they put a mind in there and sometimes a soul, and the women break vases against… Read More »Poem by Charles Bukowski
Alone With Everybody the flesh covers the bone and they put a mind in there and sometimes a soul, and the women break vases against… Read More »Poem by Charles Bukowski
Ode I. VENGEANCE will sit above our faults ; but till She there do sit, We see her not, nor them. Thus blind, yet still… Read More »Poem by John Donne
The Highwayman THE wind was a torrent of darkness among the gusty trees, The moon was a ghostly galleon tossed upon cloudy seas, The road… Read More »Poem by Alfred Noyes
जे० एन० यू० पर साम्यवाद का अन्त हो गया अन्त हुआ इतिहास का है यथार्थ बेहद रपटीला सपना है संत्रास का अब तुमसे ही होगा… Read More »पंकज चतुर्वेदी की रचनाएँ
आज जाने की ज़िद न करो आज जाने की ज़िद न करो यूँ ही पहलू में बैठे रहो आज जाने की ज़िद न करो हाए… Read More »फ़ैयाज़ हाशमी की रचनाएँ
अदावतों में जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा लगी हुई है अदावतों में जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा लगी हुई है मोहब्बतों को कोई बद-दुआ लगी हुई है पनाह देती है हम… Read More »फ़ैसल अजमी की रचनाएँ
आपकी याद आती रही रात भर मख़दूम[1] की याद में-1 “आपकी याद आती रही रात-भर” चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई… Read More »फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की रचनाएँ
चमकते चाँद से चेहरों के मंज़र से निकल आए चमकते चाँद से चेहरों के मंज़र से निकल आए ख़ुदा हाफ़िज़ कहा बोसा लिया घर से… Read More »फ़ुज़ैल जाफ़री की रचनाएँ
जो बात है हद से बढ़ गयी है जो बात है हद से बढ़ गयी है वाएज़[1] के भी कितनी चढ़ गई है हम तो ये… Read More »फ़िराक़ गोरखपुरी की रचनाएँ
दर्द के चेहरे बदल जाते हैं क्यूँ दर्द के चेहरे बदल जाते हैं क्यूँ मर्सिए नग़मों में ढल जाते हैं क्यूँ सोच के पैकर नहीं… Read More »फ़ारूक़ शमीम की रचनाएँ