Skip to content

Komal Rajeshwari

राजश्री की रचनाएँ

आधा आदमी और मेरी आवाज अपनी पूरी छाया से खेलता देख अपने समानान्तर अधूरी छाया कौतुक से ऊपर देखकर बच्चा हैरानी से चिल्लाया अरे! आधा… Read More »राजश्री की रचनाएँ

राजश्री गौड़ की रचनाएँ

तुम्हारे दर से उठेंगे तो फिर तुम्हारे दर से उठेंगे तो फिर कहाँ होंगे, ज़मीं की गोद में सोया इक आसमाँ होंगे। चला करेगी ये… Read More »राजश्री गौड़ की रचनाएँ

राजर्षि अरुण की रचनाएँ

पुकारें तो किसे सूक्ष्मतम भावनाओं के उलझाव किस कदर चिपके रहते हैं अंतर्मन की दीवारों पर जैसे पत्थरों पर काई साफ़ भी करने जाएँ तो… Read More »राजर्षि अरुण की रचनाएँ

राजरानी देवी की रचनाएँ

पद / 1 मृग-मन हारे मीन खंजन निहारि वारे, प्यारे रतनारे कजरारे अनियारे हैं। पैन सर धारे कारी भृकुटि धनुष-वारे, सुठि सुकुमारे शोभा सुभग सुढार… Read More »राजरानी देवी की रचनाएँ

राजमूर्ति ‘सौरभ’ की रचनाएँ

आँखों में जब सपने न थे तो टूटने का भय न था आँखों में जब सपने न थे तो टूटने का भय न था कितने… Read More »राजमूर्ति ‘सौरभ’ की रचनाएँ

राजमणि मांझी ‘मकरम’ की रचनाएँ

केवल अपने लिए मैं स्वार्थी हूँ अपनी बीवी की गाँठ खोलकर लूट लेता हूँ उसकी बची-खुची अस्मिता जबरन उधार माँगता हूँ उस बनिए से जो… Read More »राजमणि मांझी ‘मकरम’ की रचनाएँ

राजबुन्देली की रचनाएँ

नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है उम्मीदॊं नॆ दर्पण दॆखा,सपनॊं का मंदिर टूटा पाया ! जॊ बैठा सिंहासन पर, जनता कॊ बस लूटा खाया !! करुणा-कृंदित कितनी, पारी… Read More »राजबुन्देली की रचनाएँ

राजनारायण चौधरी की रचनाएँ

मेरे घर आना परी! कभी मेरे घर आना! आना अपनी पाँखें खोले उड़ती-उड़ती हौले-हौले, आ मुझसे घुल-मिल बतियाना! सुघड़ दूधिया गोटे वाली जिसमें कढ़ी हुई… Read More »राजनारायण चौधरी की रचनाएँ

राजकुमारी रश्मि की रचनाएँ

दुर्दिन में अब हरखू कैसे दुर्दिन में अब हरखू कैसे, घर का पेट भरे. (१) ऐसा सूखा पड़ा, धान की फसल हुई बरबाद. उपर वाले… Read More »राजकुमारी रश्मि की रचनाएँ

राजकुमारी नंदन की रचनाएँ

हे जलप्रपात तुम कहां चले? हे जलप्रपात तुम कहां चले, हे पारवत्य, तुम कहां चले? उज्ज्वल, फेनिल, चंचल कलकल शीतल, निर्मल, मंजुल, छलछल हे दुग्ध-धवल,… Read More »राजकुमारी नंदन की रचनाएँ