चरणदास की रचनाएँ
साधो निंदक मित्र हमारा साधो निंदक मित्र हमारा। निंदक को निकटै ही राखूं होन न दें नियारा। पाछे निंदा करि अघ धोवै, सुनि मन मिटै… Read More »चरणदास की रचनाएँ
साधो निंदक मित्र हमारा साधो निंदक मित्र हमारा। निंदक को निकटै ही राखूं होन न दें नियारा। पाछे निंदा करि अघ धोवै, सुनि मन मिटै… Read More »चरणदास की रचनाएँ
कैसे गाऊँ कोई गीत अभिलाषाएं सिसक रही हैं मूक हुआ मन का संगीत कंठ वेदना से रुंध जाता कैसे गाऊँ कोई गीत द्विविधा से यह… Read More »चन्द्रेश शेखर की रचनाएँ
दोहा / भाग 1 प्रेम सतसई जय जय श्री राधारमन, जय मुकुंद गोविद। जय स्यामा जय स्याम ‘रज’, जय किसोर व्रज चन्द।।1।। जय राधे वृषभानुजे,… Read More »चन्द्रभान सिंह ‘रज’की रचनाएँ
क़तरा क़तरा एहसास फैल कर फिर शब-ए-तारीक हुई बहर-ए-सियाह क़तरा क़तरा लब-ए-तन्हाई से टपके एहसास और पल्कों की सलीबों पे वो गुज़रे हुए दिन जैसे… Read More »चन्द्रभान ख़याल की रचनाएँ
मुझको पहाड़ ही प्यारे है मुझको पहाड़ ही प्यारे है प्यारे समुंद्र मैदान जिन्हें नित रहे उन्हें वही प्यारे मुझ को हिम से भरे हुए… Read More »चन्द्रकुंवर बर्त्वाल की रचनाएँ
अगर तुम्हें नीन्द नहीं आ रही अगर तुम्हें नींद नहीं आ रही तो मत करो कुछ ऐसा कि जो किसी तरह सोए हैं उनकी नींद… Read More »चन्द्रकान्त देवताले की रचनाएँ
ताकि फिर न रोए बुद्ध प्रथम रुदन नहीं यह इससे पहले भी कई बार रोया बुद्ध कलिंग का बुद्ध हिरोशिमा का बुद्ध पोखरन का बुद्ध… Read More »चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव की रचनाएँ
आश्रय देता नहीं जगत,पर असमय कुदरत ने दे डाला उसको है अभिशाप। आश्रय देता नहीं जगत,पर वह निश्छल निष्पाप। बचपन में वह हुई सुहागन माँग… Read More »चन्द्रगत भारती की रचनाएँ
यह कविता तुम्हारे ही नाम कविता लिखने बैठा और तुम्हारी याद आयी लो— यह कविता तुम्हारे ही नाम वहाँ देखो एक कोढ़ बैठा है अनाम… Read More »चन्द्र कुमार वरठे की रचनाएँ
पद / 1 एहो ब्रजराज कत बैठे हौ निकुंज माँहि, कीन्हों तुम मान ताकी सुधि कछु पाई है। ताते वृषभानुजा सिंगार साजि नीकी भाँति, सखियाँ… Read More »चन्द्रकला की रचनाएँ