‘क़ैसर’-उल जाफ़री की रचनाएँ
बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे सूरज निकल रहा था के नींद आ गई मुझे… Read More »‘क़ैसर’-उल जाफ़री की रचनाएँ
बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे सूरज निकल रहा था के नींद आ गई मुझे… Read More »‘क़ैसर’-उल जाफ़री की रचनाएँ
आतिश-ए-सोज़-ए-मोहब्बत को बुझा सकता हूँ मैं आतिश-ए-सोज़-ए-मोहब्बत को बुझा सकता हूँ मैं दीदा-ए-पुर-नम से इक दरिया बहा सकता हूँ मैं हुस्न-ए-बे-परवा तेरा बस इक इशारा… Read More »‘क़ैसर’ निज़ामी की रचनाएँ
ऐसा कुछ भी नहीं ऐसा कुछ भी नहीं जिंदगी में कि हर जानेवाली अर्थी पर रोया जाए | काँटों बीच उगी डाली पर कल जागी… Read More »कैलाश वाजपेयी की रचनाएँ
वह चेहरा आज फिर दिखीं वे आँखें किसी और माथे के नीचे वैसी ही गहरी काली उदास फिर कहीं दिखे वे सांवले होंठ अपनी ख़ामोशी… Read More »कुलदीप कुमार की रचनाएँ
गुलाब गुलाब को नहीं जानते आप और वह भी आपको नहीं जानता और सच्चाई तो यह है कि मैं भी पूरी तरह नहीं जानता गुलाब… Read More »कैलाश मनहर की रचनाएँ
मंगलाचरण ओ ध्वनि के जीवन धन तुम ही हो औंकार अनुभूति के संवाहक हो अंकनी के सृजनहार भावों को साकार करो ओ शब्द करो निर्माण।… Read More »कैलाश पण्डा की रचनाएँ
भेलै केहन ससुरा केहन हम्मर नैहर रहै भेलै केहन ससुरा। बूँदा-बूदी होत्तेॅ होय छै कादऽ कैसन गाँव में केना केॅ वियाह कैलन बाबू ऐसन गाँव… Read More »कैलाश झा ‘किंकर’ की रचनाएँ
गंगा गंगा की बात क्या करूँ गंगा उदास है, वह जूझ रही ख़ुद से और बदहवास है। न अब वो रंगोरूप है न वो मिठास… Read More »कैलाश गौतम की रचनाएँ
मेरा माज़ी मेरे काँधे पर अब तमद्दुन[1] की हो जीत के हार मेरा माज़ी है अभी तक मेरे काँधे पर सवार आज भी दौड़ के गल्ले[2] में… Read More »कैफ़ी आज़मी की रचनाएँ
दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले… Read More »‘कैफ़’ भोपाली की रचनाएँ